अगर जैश सरगना मसूद अजहर को नहीं छोड़ा गया होता तो…

नई दिल्ली। Pulwana Terror Attack के बाद एक बार फिर जैश-ए-मुहम्मद और उसके सरगना आतंकी मसूद अजहर (Masood Azhar) का नाम खबरों में है। देश आक्रोशित है, जवानों के शवों को देखकर हर हिंदुस्तानी रो रहा है और बस यही कह रहा है कि इस बार कुछ भी हो जाए… छोड़ना मत। इस बीच एक सवाल यह है कि अगर 1999 में खूंखार आतंकवादी मसूद अजहर को छोड़ा नहीं गया होता, तो शायद देश में हुए कई बड़े आतंकी हमले न हुए होते।Pulwana Terror Attack की साजिश रचने वाला जैश-ए-मुहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर वही आतंकी है, जिसे कंधार विमान हाईजैक के दौरान रिहा करना पड़ा गया था। मसूद अजहर की रिहाई के साथ ही आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का जन्म हुआ। मसूद अजहर को साल 1994 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था। कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन का सदस्य होने के आरोप में उस वक्त उसकी श्रीनगर से गिरफ्तारी हुई।मौलामा मसूद अजहर की गिरफ्तारी के बाद, जो कुछ हुआ उसका शायद किसी को अंदाजा भी नहीं रहा होगा। आतंकियों ने 24 दिसंबर, 1999 को 180 यात्रियों से भरे एक भारतीय विमान को नेपाल से अगवा कर लिया और विमान को कंधार ले गए। भारतीय इतिहास में यह घटना ‘कंधार विमान कांड’ के नाम से दर्ज है। कंधार विमान कांड के बाद भारतीय जेलों में बंद आतंकी मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक जरगर और शेख अहमद उमर सईद की रिहाई की मांग की गई और यात्रियों की जान बचाने के लिए छह दिन बाद 31 दिसंबर को आतंकियों की शर्त मानते हुए भारत सरकार ने मसूद अजहर समेत तीनों आतंकियों को छोड़ दिया। इसके बदले में कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए विमान के बंधकों समेत सभी को छोड़ दिया गया। यहीं से शुरू हुई जैश की कहानी।जेल से छूटने के बाद मसूद अजहर ने फरवरी 2000 में जैश-ए-मुहम्मद आतंकी संगठन की नींव रखी, जिसका मकसद था भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देना और कश्मीर को भारत से अलग करना। उस वक्त सक्रिय हरकत-उल-मुदाहिदीन और हरकत-उल-अंजाम जैसे कई आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद में शामिल हो गए। खुद मसूद अजहर भी हरकत-उल-अंसार का महासचिव रह चुका है। साथ ही हरकत-उल-मुजाहिदीन से भी उसके संपर्क थे।यह कोई पहली बार नहीं है, जब जैश ने भारत को दहलाने की कोशिश की हो। साल 2001 में संसद हमले से लेकर उरी और पुलवामा हमले में जैश का हाथ रहा है। अपनी रिहाई और आतंकी संगठन की स्थापना के दो महीने के भीतर ही जैश ने श्रीनगर में बदामी बाग स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली।

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