इस पाकिस्तानी शख्स की भारत से गुहार ‘धरती से मिटा दो जैश और लश्कर का नाम’

नई दिल्ली। Pulwama Terror Attack जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा जिले में बृहस्पतिवार शाम को अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले में 44 जवानों के शहीद होने की घटना से जहां पूरा देश गुस्से में है, वहीं अमन पसंद पाकिस्तानी भी नाराज नजर आ रहा है। इसकी झलक भी सोशल मीडिया पर देखने को मिल रही है। भारतीयों के साथ विदेशों में बसे पाकिस्तानी भी सोशल मीडिया पर पुलवामा में आतंकी हमले की कड़ी निंदा कर कर रहे हैं। इतना ही नहीं, अपने देश के खूंखार आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस कड़ी में आतंकी हमले के मद्देनजर नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम शहर में बसे अहमद वकास गोराया ने  भारत के प्रति संवेदना जाहिर करते हुए ट्वीट किया है – ‘हम अमन पसंद पाकिस्तानी भी भारत के ऋणी और शुक्रगुजार रहेंगे, अगर भारत खूंखार आतंकी संगठनों जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करके उनका खात्मा कर देता है।’ ट्वीट में अहमद वकास ने आगे लिखा है- ‘ये आतंकवादी हमारे मासूम बच्चों को अपने खूंखार सगंठनों में भर्ती करते हैं और जनरल इन आतंकवादियों की रक्षा करते हैं।’ यहां पर बता दें कि अहमद वकास मूलरूप से पाकिस्तान के रहने वाले हैं और फिलहाल नीदरलैंड में नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।  जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान का एक (जिहादी) आतंकी संगठन है, जिसका प्रमुख उद्देश्य भारत से कश्मीर को अलग करना है। इसके अलावा यह संगठन पश्चिमी देशों में भी आतंक फैलाने का काम करता है। इस संगठन की स्थापना पाकिस्तान के पंजाब के मौलाना मसूद अजहर ने साल 2000 के मार्च महीने में की थी। आपको बता दें कि साल 1999 में कंधार विमान अपहरण में भी इसी संगठन के नेता मौलाना मसूद अज़हर को छुड़ाने के लिए किया गया था। जिसके बाद अजहर ने इस आतंकी संगठन की नींव रखी। इस आतंकी संगठन में हरकत-उल-अंसार और हरकत-उल-मुजाहिदीन के कई आतंकी शामिल हैं। इस संगठन का मुखिया मौलाना मसूद अज़हर खुद भी हरकत-उल-अंसार का महासचिव रह चुका था। इस संगठन को भारत में हुए कई आतंकी हमलों का जिम्मेदार माना जाता है। साल 2002 जनवरी में पाकिस्तान ने भी इसे आतंकी संगठन बताकर बैन कर दिया था जिसके बाद इस संगठन ने अपना नाम बदलकर ‘ख़ुद्दाम उल-इस्लाम’ कर लिया था। यह संगठन भारत, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है। इस अपहरण कांड में भारत ने अजहर के साथ दो और आतंकी संगठन के मुखिया को छोड़ा था। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आतंकी हमले को लेकर गुरुवार को देशभर में गुस्सा फूट पड़ा। लोग अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं। दिल्ली समेत देशभर के युवाओं, वरिष्ठ नागरिकों ने फेसबुक, वाट्सएेप पर आतंकी हमले की भर्त्सना की है।नई दिल्ली के रहने वाले मिहिर गुलाटी ने लिखा है कि इस आतंकी हमले से हमारे जवान शहीद हो गए हैं। अब सैनिक बलों को एकजुट होकर आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध छेड़ देना चाहिए। वहीं रोहिणी के रहने वाले अभिनव पांडेय ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हमें फिर से एक और सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है। जिस तरह से 2016 में उरी में हमारे सैनिकों ने सैन्य शक्ति दिखाते हुए सैकड़ों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था। उसी तरह से आतंकियों को चुन-चुनकर मौत के घाट उतार देना चाहिए।वहीं मुकुल सिंह ने लिखा कि इस तरह के हमलों से देश कमजोर होने वाला नहीं है। अब इन दहशतगर्तों की खैर नहीं है। इनको पूरी ताकत से सबक सिखाया जाएगा। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में बृहस्पतिवार को अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में हुए हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए। लगभग दो दर्जन जवान जख्मी हैं। इनमें से कई की हालत गंभीर है। हमले को पाकिस्तान से संचालित जैश-ए-मुहम्मद के आत्मघाती दस्ते अफजल गुरु स्क्वॉड के स्थानीय आतंकी आदिल अहमद उर्फ वकास ने अंजाम दिया। उसने 320 किलो विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो को सीआरपीएफ के काफिले में शामिल जवानों से भरी एक बस को टक्कर मारकर उड़ा दिया। काफिले में शामिल तीन अन्य वाहनों को भी भारी क्षति पहुंची।

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