शहीद मेजर चित्रेेश के पार्थिव शरीर पर हजारों लोगों ने दी सलामी

देहरादून।  जम्मू के राजौरी में शनिवार को विस्फोट में शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह साढ़े आठ बजे उनके निवास नेहरू कालोनी देहरादून पहुंचा। सैन्य काफिले के साथ पहुंचे पार्थिव शरीर को देखते ही शहीद के पिता रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट, शहीद की मां और शहीद के बड़े भाई नीरज का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष अजय भट्ट समेत कई मंत्री, विधायक, सेना, शासन प्रशासन के आला अधिकारी मौजूद रहे।

सैन्य सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई। लोगों ने भारत माता की जय, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। इसके बाद  शहीद की अंतिम यात्रा हरिद्वार के लिए प्रस्थान की। हरिद्वार में अंतिम संस्‍कार हो गया। दून के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट शनिवार को आइईडी धमाकेमें शहीद हो गए थे। वर्ष 2010 में भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट मेजर बिष्ट सेना की इंजीनियरिंग कोर में तैनात थे। उनके पिता एसएस बिष्ट सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पेक्टर हैं। सात मार्च को चित्रेश की  शादी थी और कार्ड भी बंट चुके थे। 28 वर्षीय मेजर चित्रेश की शहादत पर हर कोई गमगीन है।  सेना, पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ ही बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों एवं विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने शहीद के आवास पर पहुंचकर परिजनों को ढाढस बंधाया।

पढ़ाई से लेकर खेल में हमेशा आगे रहते थे शहीद मेजर चित्रेश

देहरादून। दून के लाडले मेजर चित्रेश की शहादत पर परिजनों के साथ सभी  गमजदा हैं। मेजर चित्रेश के घर पहुंचे स्कूलिंग के दोस्तों ने पुरानी यादें ताजा कर कहा कि गंभीर, सरल, सौम्य स्वभाव चित्रेश की पहचान थी। पढ़ाई से लेकर खेल में भी हमेशा आगे रहते थे। 15 दिसंबर को सेंट जोजफ्स की एल्युमिनाई मीट में हर दोस्त से मिले और शादी में जरूर शामिल होने का न्योता दिया।मूल रूप से पिपली गांव, रानीखेत (अल्‍मोड़ा) के रहने वाले एसएस बिष्ट पुलिस इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और वर्तमान में नेहरू कॉलोनी में रहते हैं। उनका एक बेटा नीरज यूके में इंजीनियर है, जबकि चित्रेश 2010 में एनडीए टेक्निकल से सेना में भर्ती हुए थे। शुरुआती एक साल आइएमए में ट्रेनिंग के बाद तीन साल कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग पुणे से बीटेक किया। इसके बाद दोबारा कमिशनिंग के लिए आइएमए आए और सेना की इंजीनियरिंग कोर का हिस्सा बने। उन्हें 21 जीआर इंजीनियरिंग कोर में तैनाती मिली। कैप्टन से मेजर पद पर प्रमोशन पाने के बाद चित्रेश इन दिनों राजौरी जिले के नौशेरा के झंगड़ सेक्टर में एलओसी पर तैनात थे।

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