यहां अतिक्रमण पर आधी कार्रवाई करने के बाद भूल गए अफसर

देहरादून।राजधानी में अतिक्रमण हटाने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश भी अफसरों पर बेअसर साबित हुए। शुरूआती तीन माह तक अतिक्रमण के खिलाफ जो कार्रवाई की गई, वह बीच में बारिश और दूसरे कारणों के चलते रोक दी।अब अभियान पूरी तरह से बंद है। लोकसभा चुनाव की तैयारी का हवाला देते हुए अफसर अब अभियान शुरू करने से चुप्पी साधे हुए हैं। नतीजा अतिक्रमण हटाने के बाद खुदी सड़कें, खुली नाली और जर्जर भवन दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं। ऐसे में शहर को संवारने की योजना कभी धरातल पर उतर पाएगी, इस पर भरोसा करना मुश्किल है।हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर 21 जून को दून की सड़कों, नाली, फुटपाथ, गली और मोहल्लों पर हुए अतिक्रमण हटाने के सख्त आदेश दिए थे। इसके लिए मुख्य सचिव से लेकर अपर मुख्य सचिव को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हाईकोर्ट ने पूरे मामले के लिए अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश को व्यक्तिगत रूप से भी नामित किया था।हाईकोर्ट के डर से 27 जून से शहर में चिह्निकरण अभियान शुरू हुआ। जुलाई से शहर के रिस्पना, धर्मपुर, ईसी रोड, रायपुर रोड, राजपुर रोड, चकराता रोड, हरिद्वार रोड, गांधी रोड आदि इलाकों में चार जोन में ताबड़तोड़ अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाया गया। करीब पांच हजार से ज्यादा चिह्नित अतिक्रमण हटाने के बाद प्रेमनगर बाजार के बड़े अतिक्रमण पर कार्रवाई की गई।इस बीच विधानसभा सत्र, इन्वेस्टर समिट, बारिश और दूसरे बहाने के चलते अभियान बीच में ही रुक गया। इसके बाद तो प्रशासन के अधिकारी दोबारा अतिक्रमण हटाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए। अब नोडल अधिकारी, टास्क फोर्स के अधिकारी से लेकर जिलाधिकारी अभियान पर ज्यादा बोलने से बचते फिर रहे हैं। अफसरों का सीधा एक ही सवाल है कि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में अभियान शुरू करना मुश्किल भरा काम है।रिस्पना से लेकर धर्मपुर हो या फिर सर्वे चौक से रायपुर, सहस्रधारा रोड में जो अतिक्रमण हटाया गया, उसके बाद सड़क के दोनों तरफ खुली नाली, क्षतिग्रस्त फुटपाथ और जर्जर भवन दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं। यहां अतिक्रमण हटाने के बाद सड़क चौड़ीकरण, फुटपाथ, नाली और सौंदर्यीकरण की योजना पर काम करने के दावे किए गए। किंतु इस दिशा में फिलहाल कोई योजना और प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं। इतना जरूर है कि समय पर फुटपाथ, नाली और सड़क न बनने से दुर्घटना का खतरा बना हुआ है।

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