इतने लाख रुपये में बिका अनोख नंबर 0001

देहरादून। वाहन पर ‘अनोखे’ नंबर की चाहत में दूनवासियों की दीवानगी लगातार बढ़ती जा रही। खास नंबरों के लिए लोग लाखों रुपये खर्च कर रहे। यही वजह है कि परिवहन विभाग की अनोखे नंबरों के लिए ऑनलाइन बोली में 0001 नंबर ने प्रदेश के सभी पुराने रेकार्ड तोड़ते हुए इस मर्तबा सर्वाधिक कमाई की। देहरादून कार्यालय में यह नंबर पांच लाख रुपये में बिका। आम आदमी पार्टी ‘आप’ की किन्नर नेता रजनी रावत ने सबसे बड़ी बोली लगाकर अपनी नई फॉरच्यूनर गाड़ी के लिए पांच लाख रुपये में 0001 खरीद लिया। पिछले माह हुई बोली में यह नंबर 4.62 लाख रुपये में बिका था। हरिद्वार में यही नंबर सर्वाधिक 4.46 लाख में पिछले साल बिक चुका है। इस बार 0007 नंबर बोली में दूसरे नंबर पर रहा व 1.49 लाख रुपये में बिका। यह नंबर भी रजनी रावत ने खरीदा है। हालांकि रजनी का कहना है कि उन्होंने दो नंबर पर दांव खेला था। वह 0007 नंबर नहीं लेंगी। इस मर्तबा यूके07-डीएल सीरीज की बोली लगाई गई। एआरटीओ (प्रशासन) अरविंद पांडे के मुताबिक दून में ऐसा पहली मर्तबा हुआ, जब 0001 ने पांच लाख के आंकड़े को छुआ है। बोली में 0009 की 41 हजार रुपये की कीमत लगी, जबकि 0002 नंबर के लिए 20 हजार रुपये। इसी तरह 0006 नंबर 17 हजार रुपये में जबकि 9998 और 0022 नंबर 15 हजार रुपये में बिके। वहीं, 0005 और 0777 नंबर 13 हजार रुपये में बिके। बाकी नंबर अपनी मूल कीमत यानी 10-10 हजार रुपये में बिके। एआरटीओ पांडे ने बताया कि जिन ग्राहकों की बोली लगी है, वह बोली की रकम को आरटीओ कार्यालय में आकर जमा करा दें। तभी यह नंबर उन्हें अलॉट होंगे। अगर तय समय में रकम जमा नहीं कराई गई तो बोली निरस्त कर जमानत के लिए जमा दस हजार रुपये की रकम जब्त कर ली जाएगी।0001 नंबर की बोली की रकम लगातार बढऩे से परिवहन विभाग की बांछें खिलती जा रही हैं। शुरूआत में लड़खड़ाने के बाद यह नंबर लगातार ऊंची बोली में बिक रहा है। दून में विधायक से लेकर चिकित्सक, स्कूल संचालक एवं कारोबारी इस नंबर के लिए ऊंची बोली लगा रहे जबकि हरिद्वार में संत व प्रापर्टी कारोबारियों में 0001 की भारी डिमांड रहती है।दून आरटीओ कार्यालय से ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट झाझरा के इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रेनिंग रिसर्च (आइडीटीआर) शिफ्ट तो कर दिया गया, मगर एक हफ्ते में वहां महज पांच ही डीएल बने। 18 फरवरी से शुरू कराए गए टेस्ट में शुरूआती चार दिन एक भी आवेदक डीएल बनाने नहीं आया। बाद में दो दिन शुक्रवार और शनिवार को छह आवेदक आए, इनमें से पांच ही पास हो पाए। परिवहन अधिकारियों का मानना है कि धीरे-धीरे आवेदकों की संख्या बढ़ सकती है।

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