देहरादून। पिछले एक दशक के दौरान युवा पीढ़ी जिस तेजी से नशे की गिरफ्त में फंस रही है, वह बेहद परेशान करने वाला है। इसका सबसे बड़ा कारण है नशे के सामान का गली-कूचों तक में आसानी से उपलब्ध होना। दरअसल, दून में नशा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से बेरोकटोक पहुंच रहा है। वहां के ड्रग माफिया ने बाकायदा नेटवर्क बना रखा है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह कि पुलिस के हाथ इनकी गिरेबान नहीं पहुंच पा रहे हैं।
पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा में बढ़ते नशे के प्रचलन का प्रभाव यहां भी देखने को मिल रहा है। एक दशक से युवाओं में नशे की प्रवृति बढ़ रही है, जिसमें स्मैक और नशीली दवाइयों जैसे खतरनाक एवं घातक नशे के मामले भी शामिल हैं। नशे की लत में पड़कर युवा अपनी जान तक गंवा रहे हैं। लिहाजा, नशे को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस पहल करने जरूरत है। केवल चंद तस्करों पर कार्रवाई करने से नशे की प्रवृत्ति पर अंकुश लगने वाला नहीं है। जबकि हकीकत यही है कि पुलिस आए दिन केवल उनको पकड़ कर अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर लेती है, जो खुद नशे के आदी होकर तस्करी करने लगते हैं। लेकिन उन लोगों की तलाश पुलिस नहीं कर पाती, जो उन्हें मौत का सामान लाकर देते हैं। पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो बीते साल दून में पांच सौ से अधिक नशा तस्कर पकड़े गए, लेकिन इसमें से कोई ऐसा नहीं था तो ड्रग माफिया हो। यह केवल वह लोग थे, जो किन्हीं कारणों से नशे के चंगुल में फंसे और फिर लत पूरी करने के लिए नशा बेचने लगे।
नशा मुक्ति केंद्रों में है भीड़
द न में चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों की भीड़ देखकर ही नशे के बढ़ते दुष्प्रभाव का आकलन किया जा सकता है। दून के अलग-अलग नशा मुक्ति केंद्रों में एक हजार से अधिक लोग नशे से मुक्ति पाने की जद्दोजहद में लगे हैं।
अजय रौतेला (आइजी गढ़वाल परिक्षेत्र) का कहना है कि नशे का कारोबार करने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है। उन स्थानों पर छापेमारी की जा रही है, जहां नशे के सामानों की बिक्री होती है। दून समेत गढ़वाल परिक्षेत्र के सभी जनपदों से नशे के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई करने को कहा गया है।