राज्य में लोकसभा चुनाव को लेकर सपा और बसपा के गठबंधन से कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी

देहरादून। राज्य में लोकसभा चुनाव को लेकर सपा और बसपा के गठबंधन से कांग्रेस में अंदरखाने बेचैनी बढ़ी है। इसके लिए अब कांग्रेस प्रत्याशी दमदार और जिताऊ प्रत्याशी के चयन का प्रयास कर रही है। चयन के लिए पर्यवेक्षक तैनात कर उनका फीडबैक लिया जाएगा।

यह दीगर बात है कि प्रमुख प्रतिपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि इस गठबंधन से कांग्रेस को फर्क नहीं पड़ेगा। राज्य बनने के बाद उत्तराखंड के मैदानी जिलों खासतौर पर हरिद्वार में बसपा वर्षो तक मजबूत स्थिति में रही है। बाद में कांग्रेस को बसपा के मजबूत किले में सेंध लगाने में कामयाबी मिली।

अब जिसतरह सपा और बसपा ने उत्तरप्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी गठबंधन किया है, उससे सबसे ज्यादा मुश्किलें कांग्रेस के लिए खड़ी होनी हैं। माना जा रहा है कि दोनों दलों के एकजुट होकर चुनाव लड़ने से उन्हें हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिलों में फायदा मिल सकता है।

वहीं कांग्रेस के वोट बैंक पर सेंध लग सकती है। इस संबंध में राजीव भवन में मीडिया से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव को मजबूती से लड़ेगी। सपा और बसपा के गठबंधन का फैसला दोनों दलों का है। इससे कांग्रेस पर असर नहीं पड़ने वाला।

प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने यह भी कहा कि लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ने के इच्छुक कार्यकर्ताओं की संख्या अधिक है। पार्टी मजबूत प्रत्याशियों को चुनाव में खड़ा करेगी।

भाजपा की ओर से स्टिंग मामले में कांग्रेस को दी गई चुनौती से संबंधित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्टिंग सही है तो मुख्यमंत्री को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। स्टिंग सही नहीं है तो दोषी के खिलाफ कार्रवाई से सरकार को हिचकना नहीं चाहिए। कांग्रेस स्टिंग की जांच की मांग करती है। उन्होंने स्टिंग मामले में भाजपा पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया।

प्रत्याशी चयन में पर्यवेक्षकों की अहम भूमिका

कांग्रेस लोकसभा चुनाव में जिताऊ उम्मीदवारों पर दांव खेलना चाह रही है। ऐसे में राज्य की पांच लोकसभा सीटों के लिए जिलों से आए नामों के पैनल के अलावा भी अन्य स्रोतों से भी मजबूत प्रत्याशियों के बारे में रायशुमारी की तैयारी है। इसके लिए राज्य से बाहर से भी पर्यवेक्षकों को तैनात कर फीडबैक लिया जाएगा। इस फीडबैक के आधार पर ही प्रत्येक संसदीय सीट पर तीन-तीन संभावित प्रत्याशियों के पैनल को अंतिम रूप दिया जाएगा।

दरअसल, जिलों से आए संभावित प्रत्याशियों के पैनल में मजबूत दावेदारों के नाम भेजे तो गए हैं, लेकिन ये दावेदारी कुछ ही चेहरों के इर्द-गिर्द है। कांग्रेस ने इस बार प्रत्याशियों के चयन में संगठन के फीडबैक को तवज्जो देने का निर्णय लिया। कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर सांगठनिक जिलों से लोकसभा चुनाव के मजबूत दावेदारों के पैनल तैयार किए गए।

जिलों से ऐसे नाम भी आए हैं, जिनका सांगठनिक जिलों तक ही ज्यादा प्रभाव क्षेत्र है। हरिद्वार जिले से पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत, वरिष्ठ नेता राम सिंह सैनी, पूर्व सांसद हरपाल साथी, संजय पालीवाल, ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी के साथ अंबरीष कुमार दावेदारों में शुमार किए जा रहे हैं।

दावेदारों ने बनाई रोचक स्थिति 

इसीतरह सांगठनिक जिलों से कांग्रेस दावेदारों का जो पैनल तैयार किया गया है, उसमें नैनीताल संसदीय सीट से पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा व महेंद्रपाल सिंह, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, तिलकराज बेहड़, प्रकाश जोशी व जगदीश तनेजा का नाम शामिल बताया जा रहा है।

वहीं अल्मोड़ा सुरक्षित सीट से राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा, पूर्व विधायक नारायणराम आर्य के नामों पर जिला इकाइयों ने अधिक विश्वास जताया है। पौड़ी गढ़वाल सीट से पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी, पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी और पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को जिला इकाइयों की पसंद बताया जा रहा है।

टिहरी संसदीय सीट पर भी दावेदारों को लेकर रोचक स्थिति बनी है। इस सीट के लिए अधिकतर जिला इकाइयों ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अथवा उनके परिवार के किसी अन्य सदस्य को टिकट दिए जाने पर जोर दिया है।

इस सीट पर अन्य दावेदारों में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण और विक्रम सिंह नेगी के नाम भी शामिल हैं। बाहरी पर्यवेक्षकों की राय होगी अहम कांग्रेस की जिला इकाइयों के पैनल पर यूं तो प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह की अध्यक्षता में चुनाव समिति की बैठक में विचार किया जा चुका है।

हालांकि, कुछ दिग्गज नेताओं की ओर से सांगठनिक जिला इकाइयों के पैनल पर आपत्ति भी जताई है। इस वजह से अब यह तय किया गया है कि संसदीय सीटों पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर राज्य से बाहर से भी पर्यवेक्षक भेजे जाएंगे। प्रत्याशियों का पैनल तैयार करने में इन पर्यवेक्षकों की अहम भूमिका होगी। प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह इस पर सहमति दे चुके हैं।

निष्पक्ष तरीके से जिताऊ उम्मीदवार के लिए बाहरी पर्यवेक्षकों के जरिये रायशुमारी कराने का निर्णय लिया गया है। जिला इकाइयों की ओर नाम भेजने के बाद कुछ सीटों पर विवाद की स्थिति बनने पर पार्टी ने यह फैसला लिया है। ऐसे में यह तकरीबन तय है कि प्रत्याशियों के चयन में कांग्रेस को इस बार कुछ ज्यादा ही सिर खपाना पड़ेगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि राज्य से बाहर के पर्यवेक्षकों की तैनाती प्रदेश प्रभारी के माध्यम से की जाएगी। ये पर्यवेक्षक गोपनीय तरीके से काम करेंगे।

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