देहरादून। प्रेमनगर में पांच माह पहले हटाया गया अतिक्रमण दोबारा सजने लगा है। यहां 32 से ज्यादा दुकानें हटाए गई। अतिक्रमण की जगह फिर से खड़ी हो गई हैं। नित नई दुकानें खड़ी होने से प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। खासकर हाईकोर्ट ने यहां सड़क के दोनों तरफ सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण को पूरी तरह से हटाने के आदेश दिए थे। लेकिन, जिला प्रशासन और कैंट बोर्ड इसमें पूरी तरह से विफल नजर आ रहा है। यही कारण है कि 15 सितंबर 2018 को हुई बड़ी कार्रवाई का यहां लाभ नजर नहीं आ रहा है।हाईकोर्ट के आदेश पर 27 जून 2018 को शहरभर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। शहर की विभिन्न सड़कों, नाली, फुटपाथ और सरकारी जमीनों को मुक्त कराने के बाद प्रशासन ने अभियान के 78वें दिन प्रेमनगर में भारी पुलिस फोर्स के साथ बड़ी कार्रवाई की। यहां एक ही दिन प्रशासन ने सरकारी जमीन पर किए गए अतिक्रमण को नेस्तनाबूद कर दिया था। इसके बाद सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों में हड़कंप मचा रहा, लेकिन पांच माह के भीतर प्रेमनगर की तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है।यहां ठाकुरपुर रोड पर जो अतिक्रमण ध्वस्त किए गए थे, वह फिर से पनप गए हैं। हालांकि, अभी अधिकांश दुकानें कच्ची बनाई गई हैं। लेकिन धीरे-धीरे यहां पक्के निर्माण की भी तैयारी चल रही है। हर दिन यहां हटाए गए अतिक्रमण की जगह दोबारा निर्माण कार्य चल रहा है। इससे बाजार पूरी तरह से पहले जैसा नजर आने लगा है। इसके पीछे जिला प्रशासन, कैंट बोर्ड की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों के इस तरफ आंखें मूंद लेने से सवाल खड़े होने लाजमी हैं।एसए मुरूगेशन (जिलाधिकारी) का कहना है कि प्रेमनगर में अतिक्रमण पर नजर रखी जा रही है। लोगों ने जो जमीन बची थी, उस पर कुछ दुकानें बनाई हैं। कैंट बोर्ड को इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।प्रेमनगर बाजार के व्यापारियों ने प्रभावित होने पर व्यवस्थित तरीके से उन्हें बसाने की मांग की थी। क्षेत्र के व्यापारी नेता राजीव पुंज, रिंकू भाटिया, विक्की खन्ना, उपकार सिंह, रवि भाटिया आदि ने कहा कि प्रशासन को चाहिए था कि प्रभावितों को उचित स्थान पर पुनर्वास किया जाता। इसके अलावा प्रेमनगर की सड़कों का व्यवस्थित विकास किया जाए। ताकि प्रभावितों को रोजगार और बाजार की सुंदरता का लाभ मिलता। मगर, अतिक्रमण हटाने के बाद व्यवस्थाएं नहीं सुधरी।