देहरादून। राजपुर रोड स्थित आइआइएफएल गोल्ड लोन कंपनी में लूट का खुलासा भले ही हो गया, लेकिन सच तो यह है कि दून की पुलिस इस मामले की गंभीरता को समझने से बचती रही। अगर गैंग को समय रहते पकड़ लिया गया होता तो बाद में हुई घटनाओं को रोका जा सकता था। फिलहाल, चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। दून की पुलिस को अभी लूट में शामिल अन्य बदमाशों की गिरफ्तारी करनी है।रुड़की में बीती 25 फरवरी को आइआइएफएल गोल्ड लोन कंपनी में हुई लूट का खुलासा तब हुआ, जब बिहार पुलिस ने छह फरवरी को मुजफ्फरपुर में हुई लूट में शामिल चौथे आरोपित को पकड़ा। गोरखपुर के रहने वाले इस आरोपित ने बताया कि उसी के गैंग ने रुड़की और देहरादून में लूट की थी। इधर, दून पुलिस घटना की जांच ही करती रह गई। इसके आधार पर हरिद्वार की पुलिस बिहार से आरोपित को वारंट बी पर लेकर बुधवार को हरिद्वार पहुंची और मामले की खुलासा किया। मगर, अब चुनौती बाकी के आरोपितों को पकडऩा और दोबारा रिमांड लेकर दून में हुई वारदात के समय कंपनी में मौजूद लोगों से उसकी शिनाख्त कराना है। संभव है कि दून पुलिस भी जल्द ही आरोपित को रिमांड पर ले सकती है। 13 नवंबर घंटाघर में हुई मेरठ के सर्राफा कारोबारी से लूट के मामले में ईरानी गैंग के पांच आरोपित और छह दिसंबर को बीएसएनएल के रिटायर्ड कर्मचारी से हुई लूट में शामिल तीन अन्य आरोपितों को पुलिस आज तक नहीं तलाश पाई है। इन दोनों घटनाओं का खुलासा केवल एक-एक आरोपितों को पकड़ कर पुलिस ने कर दिया था।