देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (दून महिला अस्पताल) में बच्चा बदलने के कथित मामले में स्वास्थ्य विभाग ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जांच रिपोर्ट की एक प्रति शिकायतकर्ता को भी सौंप दी गई। विभाग की ओर से तैयार रिपोर्ट में महिला को बेटी पैदा होने की बात कही गई है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शिकायतकर्ता को अगर किसी तरह का संदेह है, तो वह वैज्ञानिक जांच करा सकते हैं।
शिकायतकर्ता उमेश कुमार निवासी डोभालवाला का आरोप है कि उन्होंने जो बयान दिया और जांच रिपोर्ट में जो लिखा है वो भिन्न है। उन्होंने इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। साथ ही डीएनए जांच की मांग दोहराई है। उधर, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि एसीएमओ डॉ.केके सिंह ने मामले की जांच की है।
परिजनों, स्टाफ, चिकित्सकों आदि के बयानों एवं दस्तावेजों के आधार पर रिपोर्ट बनाई गई है। लेबर रूम और निक्कू वार्ड दोनों जगह उमेश की पत्नी को बेटी होना दर्ज है। यदि दंपत्ति को कोई आपत्ति है तो वे डीएनए टेस्ट करा लें। बता दें, इस मामले में छह दिन बाद भी मुकदमा दर्ज हुआ और न डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया ही शुरू हुई है। इंस्पेक्टर कोतवाली एसएस नेगी का कहना है कि जांच की जा रही है। बाल कल्याण समिति से भी इस भी इस मामले में राय ली जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर डीएनए जांच कराई जाएगी।
चिकित्सा अधीक्षक ने ली विभागाध्यक्षों की क्लास
दून मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के चतुर्थ वर्ष की मान्यता के लिए एमसीआइ की टीम अब कभी भी निरीक्षण के लिए पहुंच सकती है। ऐसे में अधिकारियों के भी हाथ पांव फूले हुए हैं। प्रथम निरीक्षण में एमसीआइ ने जो खामियां इंगित की थी, उन्हें हर हाल में दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि चिकित्सा अधीक्षक से लेकर प्राचार्य तक जहां रात-दिन एक किए हुए हैं, वहीं कई विभागाध्यक्ष इस ओर दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहे। खुद के काम से भी उन्हें परहेज है। जिस पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने नाराजगी व्यक्त की।
चिकित्सा अधीक्षक ने सोमवार को तमाम विभागों के विभागाध्यक्ष की बैठक ली। उन्होंने बैठक में कई विभागाध्यक्षों के जिम्मेदारी पूर्वक काम न करने पर नाराजगी जताई। कहा कि जिस विभाग में एमसीआइ की टीम आपत्ति करेगी, उसके लिए उसका विभागाध्यक्ष जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में एमसीआइ की टीम मेडिकल कॉलेज का दौरा करेगी। विभागों में बेड डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर तमाम कामों में विभागाध्यक्ष कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिस पर उन्हें खुद रात-रात तक अस्पताल में रहकर काम करवाना पड़ रहा है। डॉ. टम्टा ने कहा कि विभाग में कोई जरूरत है, तो उन्हें बताएं। वह उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने प्राचार्य को पत्र लिखकर एमसीआइ के मानकों के अनुसार दो डिप्टी एमएस की मांग भी की है।