देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। यहां अब उन्हें आइवीपी (इंट्रावेनस पयलोग्राम) एक्स-रे की भी सुविधा मिलेगी। बाहर निजी लैब पर यह जांच ढाई हजार रुपये तक में होती है। अस्पताल में यह जांच एक हजार रुपये में की जा रही है।
तकरीबन चार साल पहले दून अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया गया था। इसके बाद से यहां एमसीआइ के मानकों के अनुरूप सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। इसी क्रम में अब यहां आइवीपी जांच भी शुरू कर दी गई है। यह जांच गुर्दे और मूत्र मार्ग का मूल्यांकन करने के लिए होती है।
दरअसल साधारण एक्स-रे में, गुर्दे की छवि बहुत अच्छी तरह से नहीं दिखती। इस विधि में कंट्रास्ट एजेंट या डाई आपकी नसों में इंजेक्ट की जाती है। इस प्रक्रिया में 30-60 मिनट का समय लगता है और इस दौरान हर कुछ मिनट के बाद एक्स-रे की एक श्रृंखला बनाई जाती है। जिससे स्पष्ट छवि उभरकर आती है और आतंरिक संरचना का विस्तृत विश्लेषण करने में मदद मिलती है।
इस प्रक्रिया से यह भी देखा जा सकता है कि संबंधित अंग किस तरह से काम कर रहें हैं। मूत्राशय और गुर्दे में संक्रमण,गुर्दे और मूत्राशय में पथरी,ट्यूमर,बढ़ा हुआ प्रोस्टेट, पेट में चोट, मूत्रमार्ग में रुकावट आदि को लेकर चिकित्सक यह जांच लिखते हैं।
अभी तक मरीज को बाहर से यह जांच करानी पड़ती थी। पर अब अस्पताल में ही जांच शुरू कर दी गई है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार मेडिकल कॉलेज बनने के बाद चरणबद्ध ढंग से अस्पताल में सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। बीपीएल मरीजों के लिए जांच निश्शुल्क है, जबकि बाकी मरीजों को एक हजार रुपये शुल्क देना होगा।
एमआरआइ से पहले पेन मैनेजमेंट की सीख
दून अस्पताल में एमआरआइ के लिए आने वाले मरीजों को अब पेन मैनेजमेंट की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए वेटिंग एरिया में एक टीवी स्क्रीन लगाई जा रही है। एमआरआइ इंचार्ज महेंद्र भंडारी ने बताया कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति कई तरह के दर्द से पीड़ित हैं।
इनमें कमर गर्दन, कंधे आदि का दर्द प्रमुख है। सामान्य दिनचर्या में हम कुछ सावधानियां बरतें तो इनसे बचा जा सकता है। इसके अलावा कुछ छोटे-छोटे व्यायाम करके भी दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। अस्पताल में प्रतिदिन 25-30 मरीज एमआरआइ के लिए पहुंचते हैं। जिनका काफी वक्त वेटिंग एरिया में इंतजार करते बीतता है। इस बीच स्क्रीन पर वह दर्द निवारण से जुड़ी तमाम जानकारियां देख सकेंगे।
ढाई साल से धूल फांक रहे टेलीमेडिसिन के उपकरण
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में टेलीमेडिसिन सेवा के उपकरण पिछले ढाई साल से पड़े धूल फांक रहे हैं। इनका आज तक, एक बार भी इस्तेमाल नहीं हुआ है। कहा यह गया था कि इस सेंटर को बदरीनाथ-केदारनाथ से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा अन्य दूरस्थ क्षेत्रों को भी इससे जोड़ने की बात कही गई थी।
सितंबर 2016 में अस्पताल में टेलीमेडिसिन सेवा के लिए उपकरण स्थापित किए गए थे। तब कहा गया कि इस केंद्र का फायदा चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को मिलेगा। यदि केदारनाथ व बदरीनाथ में कोई गंभीर बीमारी की चपेट में आता है, तो मेडिकल कॉलेज की विशेषज्ञ टीम टेलीमेडिसिन सेंटर की मदद से महज चंद मिनट में उसे परामर्श दे पाएंगे।
कहा यह भी गया था कि इस सेवा के माध्यम से दून मेडिकल कॉलेज के अलावा पीजीआइ चंडीगढ़ और एम्स दिल्ली जैसे संस्थान भी बदरीनाथ-केदारनाथ से जुड़ेंगे। हेल्थ कोरीडोर बनाने की बात कही गई थी। अधिकारियों का दावा था कि इस सुविधा की मदद से चंद मिनटों में ही विशेषज्ञों से संपर्क कर उनकी सलाह ली जा सकती है। पर कनेक्टिविटी की दिक्कत के कारण यह योजना परवान ही नहीं चढ़ पाई है।
सिस्टम तैयार है पर इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि अस्पताल में टेलीमेडिसिन सेवा के लिए उपकरण लगाए गए हैं। इनका ट्रायल भी किया जा चुका है। पर चारधाम में कनेक्टिविटी की दिक्कत के कारण इसे संचालित करने में दिक्कत आ रही है।
चारधाम ड्यूटी नहीं करेगा स्टाफ
चारधाम यात्रा के लिए दून अस्पताल से भी स्टाफ की डिमांड की गई थी। अस्पताल से रोटेशन पर आठ स्टाफ नर्स भेजने को कहा गया था। पर अस्पताल प्रशासन ने इससे इंकार कर दिया है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि अस्पताल नर्सिंग स्टाफ की कमी झेल रहा है। उस पर अगर नर्सें यात्रा ड्यूटी में भेज दी गई, तो अस्पताल का कामकाज प्रभावित होगा। इसकी जानकारी अधिकारियों को दे दी गई है।