देहरादून। हाईकोर्ट के आदेश से एक बार फिर रिस्पना नदी के पुनर्जीवित होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। यहां नदी को घेरकर बसी 90 से ज्यादा बस्ती और 100 छोटे-बड़े नालों पर हुए अतिक्रमण पर यदि कार्रवाई हुई तो निश्चित ही नदी अपने पौराणिक स्वरूप में आ सकती है। खासकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी रिस्पना के पुनर्जीवन को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही कि सरकार वोट बैंक की गणित को छोड़ हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर रिस्पना की बिगड़ी सूरत को संवारने का काम कर सकती है।देहरादून की रिस्पना नदी के किनारे दोनों तरफ करीब 90 छोटी-बड़ी बस्ती बसी हैं। मसूरी के कैरवाणगांव, शिखरफॉल से मोथरोवाला दौड़वाला तक नदी करीब 19 किमी क्षेत्र में शहर के राजपुर, रायपुर, डालनवाला, नेहरू कॉलोनी आदि इलाकों को जोड़ती है।पिछली बार हाईकोर्ट के आदेश पर यहां प्रशासन ने अतिक्रमण के चिह्नीकरण की कार्रवाई की तो छोटे-बड़े पांच हजार से ज्यादा अतिक्रमण पर लाल निशान लगाए थे। हालांकि बाद में सरकार ने यहां बसी बस्ती को सुरक्षित रखने के लिए अध्यादेश लाते हुए यह कार्रवाई रोक दी थी। इससे यहां अतिक्रमण पर लगाम लगने की बजाय दोगुनी रफ्तार से बढ़ गया।हालत यह है कि नदी के तटों के साथ अब अतिक्रमण नदी के बीच तक जा पहुंच गया है। राजपुर क्षेत्र में तो बड़ी संख्या में नदी को घेरकर प्लाटिंग कराई जा रही है। इसी तरह, रायपुर से रिस्पना के बीच नदी के दोनों तरफ बस्ती आलीशान घरों में तब्दील हो रही है।यही नहीं, आर्यनगर, अधोईवाला, मयूरी विहार, रिस्पना नगर, दीपनगर में रिस्पना नाले के रूप में नजर आ रही है। यहां सीवर से लेकर घर और बस्ती का गंदा पानी नदी में प्रवाहित हो रहा है। नगर निगम के अनुसार रिस्पना के तट पर बसी बस्ती की आबादी करीब दो लाख पार हो गई है। इससे यहां अतिक्रमण भी इसी गति से बढ़ा है।अब हाईकोर्ट ने यहां एक बार फिर अतिक्रमण पर सरकार, एमडीडीए, नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण विभागों से तीन सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इससे उम्मीद की जा रही कि रिस्पना की सूरत में कुछ हद तक सुधार हो सकता है।