नई दिल्ली। Lok sabha election 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते किस करवट बैठेंगे। क्या दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू होगी या फिर तनाव का दौर जारी रहेगा? हालांकि इस मामले में भारत का रुख बहुत स्पष्ट है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करेगा, तब तक दोनों देशों में बातचीत शुरू नहीं होगी, लेकिन इसके बावजूद इस बात की संभावना है कि पीएम मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के बीच अगले महीने मुलाकात हो सकती है।अगले महीने यानी जून की 14-15 तारीख को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक होने वाली है। इस बैठक में नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान शिरकत करने वाले हैं। इसलिए इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि इस दौरान दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच मुलाकात हो जाए। पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा कि मोदी के दोबारा सत्ता में आने के बाद मुझे नहीं लगता है कि पाकिस्तान और भारत के बीच संबंध किसी बेहतरी की तरफ जाएंगे। शायद दोनों देशों में एनगेजमेंट का प्रोसेस शुरू हो जाए। संभावना है कि अगले महीने एससीओ की हेड्स ऑफ स्टेट की बैठक में मोदी और इमरान खान के बीच बातचीत हो सकती है।चैनल से बातचीत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के इस्लामाबाद से सीनेटर मुशाहिद हुसैन सैयद ने भी कहा कि इसकी काफी संभावना है कि बिश्केक में मोदी और इमरान खान के बीच बातचीत हो। लेकिन पाकिस्तान को कश्मीर पर मजबूत रवैया अपनाना चाहिए। भारत से बातचीत के लिए याचना करने की जरूरत नहीं है।इमरान खान सरकार की प्रवक्ता फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि बातचीत किसी भी मुद्दे को हल करने का एकमात्र रास्ता है। लेकिन भारत हमेशा से वार्ता से कन्नी काटने का रवैया अपनाता रहा है। पीएम इमरान खान कह चुके हैं कि अगर भारत दोस्ती की तरफ एक कदम बढ़ाएगा तो पाकिस्तान दस कदम बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी की जीत पाकिस्तान के अवाम के लिए न तो यह कोई अच्छी खबर है न बुरी। हमारे लिए सिर्फ एक खबर है।