नई दिल्ली। आईटीबीपी की तैनाती पहाड़ या फिर बर्फ, ऐसी जगह पर ही होती है। लद्दाख में 19000 फीट की ऊंचाई और जीरो डिग्री से नीचे तापमान होता है। ऐसी जगह पर दो ही सोच दिमाग में चलती हैं, एक तो दुश्मन और अपना जीवन। इन परिस्थितियों में आईटीबीपी जवानों ने एक तीसरी सोच को भी अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। वह है योग। जवान या अफसर ही नहीं, बल्कि आईटीबीपी के घोड़े और कुत्ते भी योगासन कर रहे हैं। अमरनाथ यात्रा और कैलाश मानसरोवर यात्रा की सुरक्षा में तैनात जवानों ने घोड़ों के साथ योग किया है। अगर संख्या की बात करें तो खोजी कुत्ते आठ से दस और घोड़े तीन-चार योगासन कर लेते हैं।
पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शुक्रवार को आईटीबीपी के जवानों ने देश के विभिन्न भागों में अपनी तैनाती के स्थानों पर योगाभ्यास किया। हिमालयी उच्च तुंगता के सीमावर्ती इलाकों में स्थित बल की अग्रिम चौकियों पर भी जवानों ने उत्साहपूर्वक योगासन किए। लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम व अरूणाचल प्रदेश में स्थित बल की वाहिनियों के जवान या अधिकारी ही नहीं, अपितु महिला कार्मियों एवं उनके परिवारों ने भी संयुक्त रूप से योगाभ्यास में भाग लिया। योग की इस मुहिम में बल के लगभग 50 हजार जवान शामिल हुए।
लद्दाख क्षेत्र के ऐसे स्थान भी शामिल हैं जिनकी ऊंचाई 19000 फीट और तापमान माइनस में होता है। सिक्किम में ओ.पी. दोरजिला (18750 फीट), रोहतांग पास (13000 फीट), उत्तराखंड में वसुधरा ग्लेशियर तथा अरूणाचल प्रदेश के बीहड़ वर्षा जंगलों तथा नदी तटों आदि पर योगाभ्यास किया गया। आईटीबीपी के अधिकारी बताते हैं, योग अब हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। यह बात सही है कि हमारी पोस्टिंग अत्यंत दुर्गम और कठिन जगह पर होती है। वहां का मौसम भी खुले में योग की इजाजत नहीं देता।जवानों ने धीरे धीरे योग शुरू किया। जब उन्हें लगा कि योग से उन्हें शारीरिक ही नहीं, बल्कि आत्मबल भी मिल रहा है, उन्होंने इसे नियमित तौर पर करना शुरू कर दिया। इसके बाद चाहे कैसा भी खराब मौसम रहा हो, ये जवान योग अवश्य करते हैं। इनके साथ घोड़े और खोजी कुत्ते भी रहते हैं। जवानों ने देखा कि जब वे योग करते हैं तो ये जानवर भी उन्हें ऐसी नजरों से देखते हैं, जैसे कुछ बताना चाह रहे हों। हालांकि घोड़े और कुत्ते उस वक्त बंधे नहीं होते, लेकिन अनुशासन का पालन तो उन्हें भी करना पड़ता है। ट्रेनर के इशारे के बिना वे एक कदम भी इधर से उधर नहीं रख सकते। जवान समझ गए और उन्होंने घोड़ों व कुत्तों को भी योगा सिखाना शुरू कर दिया। कुत्ते तो एक सप्ताह में ही ट्रेंड हो गए, घोड़ों को सीखने में थोड़ा समय लगा। इसके बाद बल के सभी प्रशिक्षण संस्थानों में घोड़ों एवं खोजी कुत्तों के साथ योगाभ्यास शुरू कर दिया गया।