इसी दौरान दीपू (14), अंशुल (12) पुत्र सुरेश, मीत और उसका भाई प्रीत पुत्र धर्मवीर गंगा घाट पर पानी की बोतल में जल लेने के लिए चले गए। प्रीत गंगा घाट पर ही खड़ा रहा जबकि बाकी तीनों जल भरने लगे।इसी बीच जल भर रहे किशोर के हाथ से बोतल छूटकर बह गई। बोतल को पकड़ने के लिए उतरे तीनों किशोर तेज बहाव की चपेट में आ गए। गंगा घाट पर मौजूद प्रीत ने तीनों को डूबता देख शोर मचाया तो पास के ही गंगा घाट पर मौजूद एक फक्कड़ ने एक बालक मीत को जैसे तैसे बाहर खींच लिया, जबकि दोनों भाई डूब गए।देखते ही देखते मौके भीड़ जमा हो गई। सूचना मिलने पर चौकी प्रभारी ठाकुर सिंह रावत भी मौके पर पहुंच गए। आनन फानन में जल पुलिस और शौकिया गोताखोरों को बुलाया गया, लेकिन कई घंटों के सर्च ऑपरेशन के बाद भी किशोरों का पता नहीं चला। गंगा में डूबे भाईयों की मां चंद्रावती और चाचा का रो रो कर बुरा हाल है। पेशे से काश्तकार पिता सुरेश दल के साथ नहीं आया था। सुरेश के दो ही बेटे हैं। बड़ा बेटा आठवीं, जबकि छोटा छठी का छात्र है। बेटों के डूबने की खबर मिलते ही मां बेहोश हो गई। जब होश आया तो वह बेटों को ही पुकारती रही। पिता को घटना की जानकारी दे दी गई है। वह भी हरिद्वार के लिए रवाना हो गया है।
पानी की बोतल पकड़ने के चक्कर में गंगा में बहे दो सगे भाई, सर्च ऑपरेशन में नहीं लगा कोई सुराग
हरिद्वार। हरिद्वार में गंगा में बह गई बोतल को पकड़ने के चक्कर में पलवल (हरियाणा) के दो सगे भाई बह गए। एक किशोर को बचा लिया गया है। देर शाम तक जल पुलिस और शौकिया गोताखोरों ने सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन डूबे हुए नाबालिगों का सुराग नहीं लगा। उनके परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। घटना रविवार की दोपहर करीब डेढ़ बजे उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र के दूधियाबंद में ठोकर नंबर पांच की है। हरियाणा के गांव जनौसी जिला पलवल से करीब 35 यात्रियों का दल शनिवार को यहां पहुंचा था और उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र के खिचड़ी आश्रम में ठहरा हुआ था। रविवार की दोपहर कुछ लोग खाना खा रहे थे और कुछ लोग आश्रम में सो रहे थे।