उत्तराखंड में अब दो से अधिक बच्चों वाले नहीं लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव

देहरादून । उत्तराखंड में अब दो से अधिक बच्चों वाले लोग पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसके साथ ही हरियाणा की तर्ज पर पंचायत प्रतिनधियों के लिए शैक्षिक योग्यता का निर्धारण भी किया जा रहा है। इस सिलसिले में राज्य सरकार विधानसभा के चालू सत्र में मंगलवार को पंचायती राज एक्ट में संशोधन विधेयक लाने जा रही है। विधेयक पारित होने के बाद इसी के आधार पर पंचायत चुनाव होंगे। हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में सितंबर में पंचायत चुनाव संभावित हैं।

 त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए वर्ष 2016 में राज्य का अपना पंचायतीराज एक्ट अस्तित्व में आया। मौजूदा सरकार ने एक्ट की कुछ व्यवस्थाओं में संशोधन की ठानी। इसके तहत एक्ट में नगर निकायों की भांति पंचायतों में भी चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की शर्त के साथ ही पंचायत प्रतिनिधि के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के निर्धारण पर जोर दिया गया। गत वर्ष इस बारे में पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने अधिकारियों को मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए थे। न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारण के लिए हरियाणा व राजस्थान के पंचायतीराज एक्ट का अध्ययन करने को कहा गया था। बीते छह माह से चल रही कसरत के तहत पंचायतीराज विभाग ने इस बारे में न्याय विभाग से राय मांगी। दो बच्चों के मामले में हरी झंडी पहले ही मिल गई थी, जबकि शैक्षिक योग्यता को लेकर मंथन चल रहा था। न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के लिए हरियाणा मॉडल को उपयुक्त माना गया। वहां सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल, अनुसूचित जाति के लिए आठवीं और आरक्षित वर्ग की महिला के लिए पांचवीं पास होना अनिवार्य है। ऐसा ही अब उत्तराखंड में भी हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि विधिक राय लेने के बाद पंचायती राज एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया।

विचलन के माध्यम प्रस्ताव को कैबिनेट की हरी झंडी मिलने के बाद अब संशोधन विधेयक मंगलवार को विस सत्र में पेश होने जा रहा है। सूत्रों की मानें तो संशोधन विधेयक में दो बच्चों व शैक्षिक योग्यता के प्रावधान शामिल हैं। इसके अलावा एक्ट के तमाम प्रावधानों में लिपिकीय त्रुटियां रह गई थीं। इन्हें भी संशोधन के जरिये दूर कराया जाएगा।गौरतलब है कि राज्य में हरिद्वार को छोड़ बाकी जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) का कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा है। चुनाव सितंबर में संभावित हैं। पंचायती राज एक्ट के संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद इसी के आधार पर चुनाव कराए जाएंगे। ऐसे में उन लोगों को मन मसोसकर मसोसकर रहना पड़ सकता है, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।

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