दिल्ली। पिछले वित्त वर्ष में देश का चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़कर जीडीपी के 2.1 फीसदी के बराबर पहुंच गया है। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बताया कि 2018-19 की चौथी तिमाही में कैड घटने के बावजूद पूरे साल के परिदृश्य में यह बढ़ा है। इसी तरह, राजकोषीय घाटा भी दो महीने में तय लक्ष्य का आधे से ज्यादा हो गया है।
खास बातें
- रिजर्व बैंक और महालेखा नियंत्रक ने जारी किए आंकड़े, अर्थव्यवस्था पर बढ़ेगा दबाव
- 2.1 फीसदी रहा जीडीपी के मुकाबले चालू खाते का घाटा 2018-19 में
- 52 फीसदी पहुंचा राजकोषीय घाटे का लक्ष्य दो महीने में ही पूरे साल के अनुपात में
व्यापार घाटे ने बढ़ाया कैड
आरबीआई ने बताया कि 2018-19 में देश का व्यापार घाटा बढ़कर 180.3 अरब डॉलर पहुंच गया, जो एक साल पहले 160 अरब डॉलर रहा था। व्यापार घाटे में इस इजाफे का असर कैड पर भी दिखा है। हालांकि, मार्च तिमाही में व्यापार घाटा 35.2 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 41.6 अरब डॉलर था। इस दौरान वास्तविक विदेशी निवेश में 2.4 अरब डॉलर की गिरावट रही, जो पिछले साल 22.1 अरब डॉलर थी।
राजकोषीय घाटे का 52 फीसदी का लक्ष्य महज दो महीने में ही पार
महालेखा नियंत्रक ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का 52 फीसदी का लक्ष्य महज दो महीने में ही पार हो गया। 2019-20 के पहले दो महीने में राजकोषीय घाटा 3,66,157 करोड़ रुपये रहा। पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 55.3 फीसदी रहा था। राजकोषीय घाटा सरकार के खर्च और राजस्व के बीच का अंतर होता है। फरवरी में पेश बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 7.03 लाख करोड़ रुपये रखा था।
सरकारी खर्च में इजाफा
2019-20 के पहले दो महीने अप्रैल-मई में सरकार को बजटीय अनुमान के 7.3 फीसदी के बराबर राजस्व की प्राप्ति हुई। वहीं, पूंजी व्यय बजटीय अनुमान का 14.2 फीसदी रहा। सरकार का कुल व्यय पहले दो महीनों में 5.12 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजटीय अनुमान का 18.4 फीसदी है। सरकार ने इस साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.4 फीसदी रखा है।