सहकारी बैंक के कर्जाधारियों को बड़ी राहत, वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू

देहरादून। सहकारी बैंकों के कर्जधारियों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। नॉन परफार्मिंग एसेट्स (एनपीए) के मामलों में सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू कर दी है। इस योजना में सरकार ने कर्जधारियों के लिए तीन तरह से राहत के दरवाजे खोले हैं। यह योजना एक जुलाई से सात अक्तूबर 2019 तक लागू रहेगी। इस योजना के तहत 50 लाख रुपये तक के कर्ज वाले खाताधारकों को लाभ मिलेगा। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद यह पहला मौका है, जबकि एनपीए से संबंधित मामलों में वन टाइम सेटलमेंट योजना को लागू किया गया है।

सरकार को इस योजना से बेहद सकारात्मक नतीजे मिलने की उम्मीद है।विधानसभा स्थित अपने कक्ष में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि योजना 100 दिन के लिए लागू की गई है। पिछले 25 वर्षों में सहकारी बैंक का एनपीए 391 करोड़ 50 लाख रुपये का था। पिछले एक माह के अभियान के अंतर्गत 31 मार्च 2019 तक 21 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 18 हजार 465 एनपीए के मामले हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने बैंकों में सात फीसदी तक के एनपीए की अपेक्षा की है, जबकि प्रदेश में यह पहले ही पांच फीसदी पर पहुंच गया है। इसे पांच फीसदी से और कम करने का सरकार का लक्ष्य है। इससे पहले, अफसरों की बैठक में बैठक में निबंधक सहकारिता बीएम मिश्रा, प्रबंध निदेशक सहकारिता बैंक दीपक कुमार, अपर निबंधक सहकारिता आनंद शुक्ला, इरा उप्रेती, उप निबंधक मान सिंह आदि मौजूद थे।

ये है राहत का तीन सूत्री फार्मूला

01इस श्रेणी में ऐसे मृतक खाताधारकों को रखा गया है, जिन्होंने मूलधन जमा कर दिया है, लेकिन उनके नाम पर बैंक का ब्याज मौजूद है। ऐसे मामलों में ब्याज की राशि को पूरी तरह से माफ कर दिया जाएगा। इसमें ये भी व्यवस्था दी गई है कि जहां मूलधन जमा नहीं किया गया है, वहां मृतक खाताधारकों के परिजनों को यह सहूलियत दी जाएगी कि वह कई किस्तों में मूलधन वापस कर दें।

02इसके अंतर्गत सामान्य खाताधारकों को रखा गया है, जिन्होंने मूलधन के बराबर ब्याज जमा कर दिया हो। सरकार ने महसूस किया है कि कई बार कर्जाधारी पर मूलधन की तुलना में चार पांच गुना ज्यादा ब्याज चढ़ जाता है, जबकि वह मूलधन की राशि को बहुत पहले जमा कर चुका होता है। ऐसे में अब उनके लिए व्यवस्था दी गई है कि उनसे सिर्फ मूलधन ही वसूल किया जाएगा।

03इसके अंतर्गत सरकार ने उन खातों को लिया है, जिन्हें बैंकिंग भाषा में संदिग्ध ऋण खाता कहा जाता है। मसलन, किसी ने जमीन के कागजात सहकारी और एक अन्य बैंक में रखकर अलग-अलग ऋण लिया हो। ऐसे मामलों में सरकार ने व्यवस्था दी है कि संदिग्ध के तहत वर्गीकृत खाताधारक को मूलधन के साथ केवल 30 प्रतिशत ब्याज ही जमा करना होगा। उसका बाकी ब्याज माफ रहेगा।

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