लॉकडाउन: क्या वाकई शराब पर निर्भर है राज्यों की इकोनॉमी? जानिये कितनी है कमाई

लॉकडाउन 3 में शराब कारोबार को खोल दिया गया है. इंडस्ट्री तो काफी समय से शराब की बिक्री खोलने के लिए भारी दबाव बना ही रही थी, कई राज्य सरकारें भी इसकी मांग कर रही थीं. राजस्थान सरकार ने तो लॉकडाउन के बीच ही आबकारी शुल्क बढ़ा दिया था, जैसे उसे पहले से ही यह पुख्ता उम्मीद हो गई थी कि लॉकडाउन 3 में शराब की बिक्री खोली जाएगी.

लॉकडाउन 3 में शराब कारोबार को खोल दिया गया है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है कि राज्यों की अर्थव्यवस्था शराब के भरोसे चल रही है. आइए जानते हैं कि क्या है सच्चाई? आखिर राज्यों की शराब से कितनी होती है कमाई?

असल में राज्यों की कमाई के मुख्य स्रोत हैं- राज्य जीएसटी, भू-राजस्व, पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट या सेल्स टैक्स, शराब पर लगने वाला एक्साइज और गाड़ियों आदि पर लगने वाले कई अन्य टैक्स. शराब पर लगने वाला एक्साइज टैक्स यानी आबकारी शुल्क राज्यों के राजस्व में एक बड़ा योगदान करता है.

शराब और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखा गया है. इसलिए राज्य इन पर भारी टैक्स लगाकर अपना राजस्व बढ़ाते हैं. हाल में राजस्थान सरकार ने शराब पर एक्साइज टैक्स 10 फीसदी बढ़ा दिया. राज्य में अब देश में निर्मित विदेशी शराब (IMFL) पर टैक्स 35 से 45 फीसदी तक हो गया है. इसी तरह बीयर पर भी टैक्स बढ़ाकर 45 फीसदी कर दिया गया है. यानी 100 रुपये की बीयर में 45 रुपया तो ग्राहक सरकार को टैक्स ही दे देता है.

 इसके अलावा राज्यों को केंद्रीय जीएसटी से हिस्सा मिलता है. लेकिन केंद्र सरकार कई महीनों से राज्यों को जीएसटी का हिस्सा नहीं दे पा रही, जिसको लेकर राज्यों ने कई बार शिकायत भी की है.

राज्यों के राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब और पेट्रोल-डीजल की बिक्री से आता है. लॉकडाउन की वजह से इन दोनों की बिक्री ठप थी, इस​ वजह से राज्यों की वित्तीय हालत खराब हो गई थी. हालत यह हो गई थी कि कई राज्यों को 1.5 से 2 फीसदी ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा था

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