भारत व्यावसायिक कोयला नीलामी को लेकर अपने पड़ोसी देशों पर रोक लगाएगा। सरकार ने इस बात की जानकारी दी है कि पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा तनाव के बीच नई दिल्ली और बीजिंग के बीच बातचीत हो रही है। कोयला खनन के लिए ऑटोमैटिक रूट के तहत केंद्र सरकार ने 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी है।
इसमें संबंधित प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी शामिल होगा। देश के कोयला मंत्रालय ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि अप्रैल में एफडीआई योजना में एक संशोधन किया गया था, जिसमें कहा गया था कि भारत अपनी सीमा से लगने वाले देशों के प्रवेश पर रोक लगाएगा।
सरकार ने यह फैसला तब लिया जब पूर्वी लद्दाख पर चीन और भारत के बीच तनातनी चल रही थी और भारत ने अपने प्रोजेक्ट्स में चीन की भागीदारी को कम करने की फैसला किया था। चीनी कंपनियों को पिछले महीने रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर संबंधित अधिकारियों की मंजूरी के बिना भारत सरकार की खरीद के लिए बोलियों में भाग लेने से रोक दिया गया था।
चीनी की खनन कंपनियां जैसे चीन स्नेहुआ और चीन कोल एनर्जी दुनिया की टॉप दस सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनियों में से एक हैं। जून में केंद्र सरकार ने कोयला खनन के लिए कमर्शियल खनन और बिक्री के लिए नीलामी बोली थी। विदेशी खिलाड़ियों, गैर-खनन कंपनियों और बड़ी खनन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए बोली लगाने की शर्तों को उसी तरह बनाया गया।
मई 2020 में केंद्र ने कोल माइन्स स्पेशल प्रोविजन एक्ट 2015 में संशोधन किया ताकि नीलामी की प्रक्रिया को आसान किया जा सके और विशेष निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि मौजूदा समय में 100 फीसदी एफडीआई करना सबसे बड़ी बात है। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के प्रवेश से भारत में कोयला बाजार कुशल और प्रतिस्पर्धी बनेगा।
41 कोल ब्लॉक्स की नीलामी के साथ कोयला मंत्रालय ने कमर्शियल कोल माइनिंग ऑक्शन की शुरुआत कर दी है। इन 41 खदानों से खदान वाले राज्यों को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। टेंडर डॉक्यूमेंट के लिए बिक्री की आखिरी तारीख 14 अगस्त और बोली जमा करने की आखिरी तारीख 18 अगस्त है।
हालांकि 30 जुलाई के कोयला मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक निवेशकों की समय सीमा बढ़ाने की अपील कर विचार कर रहा है।
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