भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर नई दिल्ली ने बीजिंग को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि वह पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ चीनी सैनिकों को पीछे भेजने और यथास्थिति बहाल करने की अपनी मांग को जोरदार तरीके से जारी रखेगा। साथ ही भारत ने इस ऊंचाई वाले क्षेत्र में लंबे समय तक टिके रहने के लिए कमर कस ली है।
सोमवार को चीन के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर सेना, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच एक परामर्श बैठक हुई। इस बैठक के बाद एक अधिकारी ने कहा, एलएसी का मुद्दा केवल बातचीत योग्य नहीं है। जब तक चीनी सैनिक पूरी तरह से पीछे नहीं लौटते हैं, तब तक हमारे जवान भी पूर्वी लद्दाख में फॉरवर्ड इलाकों में तैनात रहेंगे।
इस अंतर-मंत्रिस्तरीय बैठक का लक्ष्य इस सप्ताह होने वाले ‘भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) कूटनीतिक वार्ता से पहले भारत की भविष्य की रणनीति को तैयार करना था।
यह भी पढ़ें: तनाव घटाने के बजाय चीन ने तिब्बत से कालापानी तक तैनात कीं तोपें
दोनों ही देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर पांच दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक चीन के अड़ियल रवैये में कोई बदलाव नहीं देखा गया है। अब भी पैंगोंग त्सो और गोगरा क्षेत्र में विवाद जारी है।
चीन ने सीमा पर अपना अड़ियल रवैया बरकरार रखा है और एलएसी की तरफ सैनिकों को जबरन भेजने में लगा हुआ है। भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध चौथे महीने में पहुंच चुका है। वहीं, अब भारत ने भी सैन्य स्थिति मजबूत कर लिया है। सेना ने लद्दाख में 30 हजार जवानों के लिए सर्दियों में जरूरी सामानों की पूरी व्यवस्था कर ली है।