केंद्र से जीएसटी क्षतिपूर्ति न मिलने पर सरकार 2200 करोड़ का लोन लेने जा रही है। जीएसटी में हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। राज्य सरकार ने केंद्र को यह जानकारी दी है। दरअसल जीएसटी में हो रहे घाटे की भरपाई पांच सालों तक केंद्र सरकार को करनी है। जीएसटी लागू होने के बाद से केंद्र लगातार 14 प्रतिशत सालाना बढ़ोत्तरी के साथ यह भरपाई कर भी रहा था। लेकिन इस वित्तीय वर्ष में कोरोना संकट की वजह से राजस्व वसूली बुरी तरह प्रभावित हो गई है। जिससे केंद्र ने राज्यों को नुकसान की भरपाई यानी क्षतिपूर्ति देने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
केंद्र के क्षतिपूर्ति देने से इंकार करने से राज्य के सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया था। इसे देखते हुए केंद्र ने राज्य को लोन लेने का विकल्प दिया था। दूसरा विकल्प यह था कि केंद्र सरकार खुद लोन लेकर राज्यों को यह भुगतान करे। लेकिन राज्य सरकार ने अब खुद आरबीआई से लोन लेने का विकल्प चुना है। वित्त विभाग की ओर से इस संदर्भ में केंद्र को अवगत भी कराया जा चुका है। राज्य को केंद्र से वैसे इस वित्तीय वर्ष में क्षतिपूर्ति के रूप में 3400 करोड़ मिलने थे। लेकिन राज्य फिलहाल 2200 करोड़ ही लोन ले रहा है। वित्त सचिव अमित नेगी ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में केंद्र सरकार को अवगत करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई से लोन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
केंद्र सेस के जरिए चुकाएगा यह लोन
राज्य की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आरबीआई से लिए जा रहे तकरीबन 2200 करोड़ के लोन की किस्त और ब्याज केंद्र सरकार चुकाएगी। केंद्र जीएसटी में नुकसान की भरपाई जिस सेस के राजस्व से करता था उसी के जरिए इस लोन की किस्त चुकाएगी। ऐसे में इस किस्त का बोझ राज्य सरकार पर नहीं पड़ेगा। हालांकि केंद्र सरकार भी लोन की किस्त तभी चुका पाएगी जब सेस के जरिए सरकार की कमाई होगी। इसमें अभी कुछ वक्त लग सकता है।
राज्य पर 55 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज
राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड आर्थिक मोर्चें पर परेशानियां झेल रहा है। हालत यह है कि राज्य पर 55 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है और राज्य के बजट का आठ से दस फीसदी कर्ज चुकाने पर ही खर्च हो रहा है। राज्य में पहले ही राजस्व के सीमित संसाधन थे। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद से स्थिति में और खराब आई है। राज्य के बजट का कुल 35 प्रतिशत भाग कर्मचारियों, पेंशनर्स के वेतन, पेंशन पर खर्च होता है।
ऐसे में राज्य के विकास के लिए बजट की लगातार कमी बनी रहती है। हालत यह है कि इस महीने ही सरकार को वेतन, पेंशन देने के लिए पांच सौ करोड़ का लोन लेना पड़ा है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य अपने खर्च चलाने के लिए अभी तक 15 सौ करोड़ का लोन ले चुका है। जबकि इससे पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य में छह हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया था। वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि विकास परियोजनाओं के लिए लोन लेने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन वेतन, पेंशन आदि के भुगतान के लिए लोन लेना राज्य के लिए खासा खतरनाक हो सकता है।