देहरादून: नोटबंदी के दौरान भले ही प्रदेशभर में 7000 करोड़ रुपये से अधिक के पुराने नोट जमा किए गए हों, लेकिन इनमें से 60 लोगों ने ही स्वीकार किया है कि उन्होंने पुराने नोटों के रूप में 15.50 करोड़ रुपये की काली कमाई जमा कराई है। यह स्थिति तब है जब आयकर की इन्वेस्टिगेशन विंग ने एक करोड़ रुपये से अधिक पुराने नोट जमा करने पर ही 200 से अधिक नोटिस जारी कर रखे हैं और 2.50 लाख रुपये से अधिक की जमा राशि पर तो हजारों की संख्या में नोटिस जारी किए गए हैं।
नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में काली कमाई जमा करने वालों को अपनी अघोषित आय घोषित करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) शुरू की थी। आयकर विभाग की ओर से भेजे गए नोटिस में भी स्पष्ट किया गया था कि अघोषित आय की 49.9 फीसद राशि योजना में जमा कर दी जाए।
दिसंबर से पहले 31 मार्च और फिर 10 अप्रैल तक बढाई गई योजना अवधि के अब तक प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि ना के बराबर लोगों ने ही अघोषित आय को सरेंडर करने का साहस दिखाया।
इन 60 लोगों में से भी 22 लोगों ने इन्वेस्टिगेशन विंग के माध्यम से करीब 7.75 करोड़ रुपये की अघोषित आय सरेंडर की। जबकि मुख्य आयकर आयुक्त कार्यालय के माध्यम से 38 लोग सिर्फ आठ करोड़ रुपये की काली कमाई घोषित करने को तैयार हो पाए।
कार्रवाई का भी नहीं रहा डर
पीएमजीकेवाई में काली कमाई सरेंडर करने के लिए आयकर विभाग के उत्तर प्रदेश पश्चिम व उत्तराखंड के प्रमुख ने देहरादून में पत्रकार वार्ता कर स्पष्ट किया था कि योजना की समाप्ति के बाद कालाधन पकड़े जाने पर 75 फीसद से अधिक कर वसूली के साथ संबंधित व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके बाद भी योजना में अघोषित आय सरेंडर करने में जरा भी तेजी नहीं आ पाई।
आयकर की नजर से बचना मुश्किल
आयकर विभाग ने जिन भी लोगों को नोटिस जारी किए हैं, उनका पिछला रिकॉर्ड भी विभाग के पास है। साथ ही पूर्व में दाखिल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) के आधार पर भी अधिकारियों ने आकलन किया है कि नोटबंदी में जमा की गई राशि अघोषित आय का हिस्सा है या अघोषित।
चुनाव के चलते देरी से दिया ध्यान
मुख्य आयकर आयुक्त (उत्तराखंड) अभय तायल के मुताबिक उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के चलते हम पीएमजीकेवाइ पर नौ मार्च से ही ध्यान दे पाए। इसके चलते अघोषित आय घोषित करने का ग्राफ अपेक्षाकृत कम नजर आ रहा है। हालांकि यह आंकड़ा 31 मार्च तक तक है और योजना की एक्सटेंशन अवधि में सरेंडर राशि में कुछ इजाफा और संभव है।