महुआ से बनाया गया सैनिटाइजर

बरेली: एमजेपीआरयू की तीन स्टूडेंट्स ने महुआ से तीन तरह का सैनिटाइजर बनाया है। जिसमें दो हर्बल और एक केमिकल सैनेटाइजर है। स्टूडेंट्स ने आरयू के प्रोफेसर की हेल्प से सैनिटाइज तैयार किया है। स्टूडेंट्स ने लॉकडाउन के बावजूद भी इस प्रोजेक्ट को सक्सेसफुली कंडक्ट कराया और केमिकल इंजीनियरिंग के हेड डॉ। एमएस करुणा का भी योगदान रहा।

एमजेपीआरयू के फार्मेसी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ। अमित कुमार वर्मा के निर्देशन केमिकल इंजीनियरिंग के लास्ट ईयर की स्टूडेंट प्रीति शर्मा, वैशाली और सीमा गुप्ता ने यह प्रोजेक्ट को सफलता पूर्वक पूरा किया है। स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्होंने सैनिटाइजर बनाने में महुआ के पेड़ से रस निकालकर एसिड हाइड्रोलिसि करने के बाद फर्मंटेसन कर अल्कोहल तैयार किया। इसके बाद उस अल्कोहल से तीन कैटेगरी का सेनिटाइजर बनाया। स्टूडेंट्स ने अल्कोहल सैनिटाइजर, हर्बल सैनिटाइजर और आइसोप्रोपिल अल्कोहल सैनिटाइजर बनया है। महुआ के पेड़ के पार्ट को लेकर केमिकल प्रक्रिया से गुजारा। पहले एसिडक हाइड्रोलिसिस फिर फार्मनेंटेशन किया। जिससे अल्कोहल मिल गया। यानि फ‌र्स्ट हमें इथेनॉल और कपूर, ग्लिसरीन, कल्वे ऑइल और कुछ रासायनिक तत्व जैसे कच्चे माल की जरूरत है। इसके हम एक बीकर में आसुत जल लेते हैं और फिर महुआ भिगोते हैं। खमीर डाला जाता है और खमीर के लिए ग्लूकोज भी जोड़ा जाता है। यह किण्वन प्रक्रिया के लिए 72 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। इस दौरान किण्वन पूरा हो जाता है और शुगर का स्तर कम हो जाता है और एथनाल में वृद्धि होती है और तापमान 25 डिग्री सेल्सियस बना रहता है। 3 दिन के बाद जब किण्वन पूरा हो जाता है, तब आसवन प्रक्रिया की जाती है, अब वाष्पशील पदार्थ को 78.3 डिग्री सेंटीग्रेड पर वाष्पित किया जाता है और ओवरहेड कंडेनसर से ओवरहेड उत्पाद एकत्र किया जाता है। इसलिए इथेनॉल उत्पादों को प्राप्त किया जाता है जिसे विभिन्न भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा जांचा जा सकता है। हैंड सैनिटाइजर, जिसे हैंड एंटीसेप्टिक्स के रूप में जाना जाता है। साबुन और पानी से हाथ धोने में प्रयोग किया जाता है। इसे अलग-अलग रूप में बनाया जा सकता है जैसे जेल, फोम और तरल समाधान (स्प्रे), सभी हैंड सैनिटाइजर का आधार एल्कोहल है। इसे अल्कोहल महुआ से तैयार किया जाता है।

 

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