फ्रांस का दावाः अर्मेनिया-अजरबैजान जंग को भड़का रहे तुर्की और पाकिस्तान

इंटरननेशनल डेस्कः नागोर्नो-काराबाख में आर्मीनिया और अजरबैजान के भीषण जंग जारी है। इस बीच आर्मीनिया ने सीजफायर पर वार्ता के लिए अपनी सहमति दे दी है।आर्मीनिया से जंग के लिए सीरिया से आतंकवादियों को भेजने के आरोपों पर तुर्की घ‍िरता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आंतकवाद के पोषक तुर्की और पाकिस्तान इस जंग में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। फ्रांस के राष्‍ट्रपति इम्‍मैनुअल मैक्रान ने इस बात की पुष्टि की है कि 300 से ज्‍यादा कट्टर इस्‍लामिक आतंकी तुर्की के गजिआनटेप के रास्‍ते नागोर्नो-काराबाख पहुंचे हैं।

फ्रांस के राष्‍ट्रपति ने की पुष्टि
फ्रांस के राष्‍ट्रपति ने ब्रसेल्‍स में कहा, ‘मैं आपको आश्‍वासन दे सकता हूं कि 300 से ज्‍यादा सीरियाई उग्रवादी कुछ समय पहले अलेप्‍पो जोन से निकाले गए थे और उन्‍हें तुर्की के रास्‍ते नागोर्नो-काराबाख में संघर्ष इलाके में तैनात किया गया है जो अजरबैजान की ओर से युद्ध लड़ेंगे।’ उन्‍होंने कहा, ‘यह बिल्‍कुल पुष्‍ट तथ्‍य है। इन लोगों की पहचान की गई है और उन्‍हें खोज निकाला गया है। इन सभी के तार कुख्‍यात आतंकी संगठन ISIS से जुडे़ हुए हैं।’ मैक्रान ने कहा कि मैंने इस संबंध में राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन से बात की है और उन्‍होंने इसकी पुष्टि की है कि उन्‍हें इस बारे में सूचना म‍िली है। मैक्रान ने कहा, ‘नाटो सदस्‍य के रूप में तुर्की का व्‍यवहार घृणित हो गया है। हमारा मानना है कि इस तरह का व्‍यवहार पूरी तरह से अस्‍वीकार्य करने योग्‍य है। इस मामले में लक्ष्‍मण रेखा को पहले ही पार कर दिया गया है।’

तुर्की के जंग में कूदने का खतरा
बता दें कि तुर्की के अजरबैजान के साथ अच्छे संबंध हैं, वहीं रूस के आर्मेनिया के साथ अच्छे संबंध हैं। माना यह भी जाता है कि अजरबैजान के साथ भी रूस के रिश्ते अच्छे हैं। नागोर्नो-काराबाख को लेकर जारी जंग में अबतक 100 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई है और सैंकड़ों लोग घायल हैं। उधर, जैसे-जैसे यह जंग तेज होती जा रही है, वैसे-वैसे रूस और नाटो देश तुर्की के इसमें कूदने का खतरा मंडराने लगा है।
पाकिस्‍तान-तुर्की जंग में भेज रहे हजारों आंतकी
इससे पहले आतंकवाद की फैक्‍ट्री पाकिस्‍तान और उसके ‘धार्मिक आका’ तुर्की के आर्मीनिया से जंग के लिए हजारों आतंकी भेजने की खबरें आ आई थीं। अब पहली बार फ्रांस ने इसकी पुष्टि कर दी है। ये आतंकवादी गृहयुद्ध से प्रभावित सीरिया और लीबिया से नागोरनो-काराबाख भेजे गए हैं। ‘किलिंग मशीन’ कहे जाने वाले इन आतंकवादियों को मुस्लिम देश अजरबैजान के पक्ष में ईसाई देश आर्मीनिया से युद्ध के लिए काफी पैसा दिया जा रहा है। तुर्की के इस कदम से तनाव काफी बढ़ गया है और उसके रूस से जंग का खतरा मंडराने लगा है। बताया जा रहा है कि ये आतंकवादी 22 सितंबर और उसके बाद तुर्की के रास्‍ते अजरबैजान की राजधानी बाकू पहुंचे थे। भारी हथियारों से लैस इन आतंकवादियों की तादाद करीब 1 हजार बताई जा रही है। ये सभी अल हमजा ब्रिगेड के बताए जा रहे हैं। ज्‍यादातर आतंकवादी सीरिया से आए हैं। हालांकि कुछ लोगों को लीबिया से भी भेजा गया है। बताया जा रहा है कि तुर्की के इस मिशन में पाकिस्‍तान भी मदद कर रहा है और उसके आतंकवादी इस इलाके में काफी सक्रिय हैं।

ISIS इन आतंकवादियों को दे रहा मोटी रकम
खबरों में दावा किया जा रहा है कि पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी ISIS इन आतंकवादियों को एकजुट करके अजरबैजान भेजने का काम कर रही है। बताया जा रहा है कि तुर्की इन आतंकवादियों को 1500 से 2000 डॉलर सैलरी दे रहा है। वहीं पाकिस्‍तानी सोशल मीडिया में अजरबैजान के समर्थन में जमकर पोस्‍ट किए जा रहे हैं। बता दें कि आर्मीनिया में जहां 94 फीसदी आबादी ईसाई है, वहीं अजरबैजान में 97 फीसदी आबादी मुस्लिम है।

तुर्की भड़का रहा युद्धः एवेट एडोन्स
अर्मेनिया-अजरबैजान की वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए अर्मेनिया के उप विदेश मंत्री एवेट एडोन्स ने कहा कि तुर्की द्वारा समर्थित अजरबैजान की तानाशाही बढ़ती जा रही है। तुर्की ने ही युद्ध को बढ़ावा दिया है. 27 सितंबर को सुबह 6 से 7 बजे के बीच तुर्की अजरबैजान ने साथ मिलकर अपने सैन्य उपकरणों, हवाई जहाज, तोपखानों के साथ नागोर्नो कराबाख पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू कर दिए। .

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