Atal Tunnel Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया अटल टनल का उदघाटन, सेना और आम लोगों के लिए बड़ी सौगात

नई दिल्लीः भारत- चीन सीमा पर काफी लंबे समय से तनाव की स्थिती बनी हुई है. ऐसे समय में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे लंबी हाईवे टनल का उद्घाटन कर दिया है. सर्दियों में पूर्वी लद्दाख को पूरे भारत से जोड़ने वाले इस टनल का नाम ‘अटल टनल’ रखा गया है. सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस टनल का उदघाटन करने हिमांचल प्रदेश पहुंचे थे. प्रधानमंत्री मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी ‘अटल टनल’ के उद्धाटन कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे. हिमाचल प्रदेश के कुल्लु मनाली और लाहौल-स्पिति जिले में बनी 9 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का काम पिछले 10 सालों से चल रहा था.

बर्फबारी में भी खुला रहेगा यातायात

अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी हाईवे टनल है. यह 9 किलोमीटर लंबी सुरंग, मनाली को पूरे साल लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है. इससे पहले घाटी हर साल लगभग 6 महीने तक भारी बर्फबारी के कारण कट जाती थी. यह दुनिया का सबसे लंबा हाइवे सुरंग जिसकी लंबाई दस हजार फीट से अधिक है. अटल टनल को पूरा करने का अनुमानित समय 6 साल से कम था, लेकिन इसे 10 साल में पूरा किया गया. सुरंग में हर 60 मीटर पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है जबकि हर 500 मीटर पर आपातकालीन निकास है. सुरंग से मनाली और लेह की बीच दूरी कम होने की वजह से चार घंटों की बचत होगी. आग लगने की स्थिति में सुरंग के अंदर फायर हाइड्रेंट भी लगाए गए हैं. इस टनल के बनने से हिमाचल प्रदेश का लाहौल-स्पिति इलाका और पूरा लद्दाख अब देश के बाकी हिस्सों से 12 महीने जुड़ा रहेगा. क्योंकि रोहतांग-पास‌ (दर्रो) सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी के कारण बंद हो जाता था, जिससे लाहौल-स्पिति के जरिए लद्दाख जाने वाला हाईवे छह महीने के लिए बंद हो जाता था. लेकिन अब अटल टनल बनने से इससे निजात मिल जाएगी.
टनल की प्रमुख सुरक्षा विशेषताएं
अटल टनल के दोनों पोर्टल्स पर टनल एंट्री बैरियर लगे हुए हैं. किसी भी आपातकालीन संचार के लिए प्रत्येक 150 एमटीआर पर टेलीफोन कनेक्शन दिए गए हैं. टनल में प्रत्येक 60 एमटीआर पर अग्नि हाइड्रेंट सिस्टम लगा हुआ है. टनल के अंदर हर 250 माउंट पर सीसीटीवी कैमरों के साथ ऑटो घटना का पता लगाने की प्रणाली को इंस्टॉल किया गया है. टनल के अंदर हवा की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए हर 1 किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी हुई है. बता दें कि सीमा सड़क संगठन ने प्रमुख भूवैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों को दूर करने के लिए अथक परिश्रम किया, जिसमें 587 मीटर सेरी नाला फॉल्ट ज़ोन का सबसे कठिन सड़क शामिल था, 15 अक्टूबर, 2017 को इस चैनल को दोनों तरफ से होते हुए जोड़ दिया गया था.

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