नई दिल्ली/टीम डिजिटल। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) ने कहा कि 4 साल पहले दिल्ली में सोलर पावर (Solar Power) उत्पादन करीब 7 मेगा वाट था, जो अब बढ़कर 177 मेगावाट हो गया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ज्यादा नहीं है और हमें इसको एक आंदोलन बनाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में दिल्ली सोलर पावर के क्षेत्र में पूरे भारत की राजधानी बन जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को लेडी इरविन कॉलेज में 218 किलोवाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन करने के बाद कहा कि दिल्ली सरकार ने सोलर पावर को बढ़ावा देने के लिए दो पॉलिसी बनाई है। पॉलिसी के तहत कोई भी कंपनी के साथ मामूली कागजी कार्रवाई कर अपने घर की छत पर सोलर पावर पैनल लगवा सकता है और उसे प्रतिवर्ष बिजली पर होने वाले लाखों रुपए के खर्च की बचत होगी।
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सोलर पैनल से किसान भी बढ़ा सकते हैं आय
इसी तरह किसान भी अपने खेतों में थोड़ी उचाई पर सोलर पैनल लगवा कर कंपनी से किराया प्राप्त करने के साथ खेती भी कर सकते हैं। इससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को सोलर पावर पैनल लगाने के लिए आगे लाने के लिए इसे एक जनांदोलन बनाना होगा, ताकि इसे आरडब्ल्यूए, स्कूल, कॉलेज, सरकारी और निजी भवनों समेत सभी जगह लगाया जा सके।
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ऊर्जा के मौजूदा सभी स्रोतों में ग्रीन एनर्जी का ही भविष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा के मौजूदा सभी स्रोतों में ग्रीन एनर्जी का ही भविष्य है। थर्मल एनर्जी से काफी प्रदूषण होता है इसीलिए हमने दिल्ली में चल रहे दोनों थर्मल पावर प्लांट बंद कर दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बड़े-बड़े हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट लगते थे उसमें बहुत ज्यादा जमीन अधिग्रहित करनी पड़ती है। कई गांव इसके दायरे में आ जाते थे जो एक बहुत बड़ा मुद्दा होता था। लेकिन सोलर पावर एनर्जी एक ऐसी चीज है जो स्थानीय स्तर पर की जा सकती है और बहुत ज्यादा साफ उर्जा है।
बता दें कि दिल्ली सरकार ने डिस्कॉम को 2000 मेगावाट नवीनीकरण ऊर्जा के लिए देश भर में सबसे कम लगभग 2.8 रुपये प्रति यूनिट की दर पर पीपीएम में प्रवेश करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। साल 2015 से 2019 की अवधि के दौरान करीब 2000 मेगावाट सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के पीपीए पर हस्ताक्षर किए गए, जिसकी औसत लागत करीब 2.8 रुपए प्रति यूनिट है।