राज्य में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की कड़ी में एक बड़ी उपलब्धि जुड़ने जा रही है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में टिश्यू ट्रांसप्लांट की सुविधा के बाद अब अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) की सुविधा भी उपलब्ध होगी। 19 दिसंबर को संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एसजीपीआईएमएस) लखनऊ की टीम संस्थान में उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्चर और विशेषज्ञ चिकित्सकों व अन्य सुविधाओं का जायजा लेने के लिए पहुुंच रही है।
जब किसी जिंदा इंसान में किसी दूसरे इंसान के ऑर्गन सर्जरी के माध्यम से लगाए जाते हैं तो यह प्रक्रिया ऑर्गन ट्रांसप्लांट कहलाती है। सर्जरी के माध्यम से हार्ट, लीवर, किडनी, लंग्स, पैंक्रियाज, इंटेस्टाइन, हार्ट वॉल्व, कॉर्निया, बोन्स, स्किन आदि का ट्रांसप्लांट संभव है। एम्स ऋषिकेश में अभी केवल टिश्यू ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है।
इसके तहत कुल 87 कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जा चुकी हैं। इनमें आठ कॉर्निया का ट्रांसप्लांटेशन तो कोरोनाकाल में ही किया गया है। एम्स प्रशासन की मानें तो बहुत जल्दी हम उन प्रक्रियाओं को पूरा करने जा रहे हैं, जिसके तहत ऑर्गन ट्रांसप्लांट की अनुमति प्रदान की जाती है। यदि ऐसा होता है तो ये उपलब्धि न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि आसपास के राज्यों के लिए भी वरदान साबित होगी और लाखों लोगों का जीवन बचाया जा सकेगा।
शुरुआत किडनी प्रत्यारोपण से
हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर जाते हैं, इनमें से अधिकतर की मौत की वजह ब्रेन इंजरी होती है। अगर, ऐसे लोग ऑर्गन डोनेशन से रजिस्टर हों या फिर उनके परिवार इसके लिए तैयार हो जाएं तो एक इंसान के ऑर्गन डोनेशन से आठ लोगों को नई जिंदगी मिल सकती है। कानूनन ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट 1994 से लागू है। इसके तहत ऑर्गन डोनेशन की सर्जरी आसान हुई और लोगों को नई जिंदगी मिलने लगी है। संभव है बहुत जल्दी हम देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएंगे, जहां ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध होगी। इसकी शुरुआत हम किडनी ट्रांसप्लांट से करने जा रहे हैं।
– प्रो. रविकांत, निदेशक, एम्स संस्थान, ऋषिकेश
एम्स ऋषिकेश में कॉर्निया ट्रांसप्लांट सेवाएं पहले से ही कार्य कर रही हैं। संस्थान के यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग ने किडनी ट्रांसप्लांट का बीड़ा उठाया है। चूंकि संस्थान में किडनी से ही ऑर्गन ट्रांसप्लांट की शुरुआत होने जा रही है, इसके लिए हमारे पास मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और पूरी तरह से सुसज्जित किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट तैयार है।
– डॉ. अंकुर मित्तल, एमसीएच, यूरोलॉजी एवं एसोसिएट प्रोफेसर डिपार्टमेंट हेड यूरोलॉजी
देश में अंग प्रत्यारोपण की स्थिति
हर साल देश में एक लाख से अधिक कॉर्निया की जरूरत पड़ती है, लेकिन 25 हजार ही मिल पाती है। जबकि किडनी के मामले में हर साल एक से डेढ़ लाख किडनी की जरूरत पड़ती है, लेकिन 3500 से 4000 ही मिलती हैं। इसी तरह से हर साल 15 से 20 हजार लीवर की जरूरत पड़ती है, लेकिन 500 ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं। इसी तरह से हर साल दस हजार के करीब हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, जबकि 10 से 15 ही संभव हो पाते हैं।