अमर उजाला एक्सक्लूसिव : लॉकडाउन के बाद ढाई लाख परिवारों को पीएफ ने तंगहाली से निकाला

लॉकडाउन के चलते वेतन कटौती के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे ढाई लाख से ज्यादा कर्मचारियों के परिवारों को ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) से बड़ी राहत मिली है। ज्यादातर कर्मचारी बैंक लोन की किश्तें व बच्चों की कोर्स फीस समेत अन्य कारणों से पीएफ निकाल रहे हैं। यह सिलसिला जारी है। क्लेम की भरमार से विभागीय कामकाज पर भी असर पड़ने लगा है। लॉकडाउन लागू होने के बाद मार्च महीने से अक्तूबर महीने तक 2 लाख 54 हजार 302 कर्मचारियों को पीएफ जारी किया जा चुका है। इसमें कोविड एडवांस योजना के तहत किए गए क्लेम भी शामिल हैं। अक्तूबर महीने में सर्वाधिक 52 हजार 310 क्लेम निपटाए गए। जबकि, हर महीने औसतन 40 हजार क्लेम निपटाए गए। वहीं, लॉकडाउन के बाद के क्लेम की तुलना पहले के महीनों से करें तो क्लेम में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
कहीं कटौती तो किसी का अटका वेतन
जानकारी के अनुसार, पीएफ क्लेम करने वालों में करीब 70 प्रतिशत वे कर्मचारी हैं, जिनके वेतन में लॉकडाउन के बाद से कटौती की गई। जबकि, कई कर्मचारियों को कई महीने से वेतन ही नहीं मिला। डोेईवाला निवासी जगत सिंह नेगी ने कहा कि उन्होंने पिछले महीने बैंक लोन की किश्त देने के लिए 01 लाख रुपये पीएफ निकाला। विकासनगर निवासी राम सिंह पंवार ने कहा कि वह निजी स्कूल में शिक्षक हैं। अप्रैल से सितंबर तक 30 फीसदी वेतन मिला। बेटे का बीटेक कोर्स में दाखिला कराने के लिए पीएफ निकालना पड़ा।
कोविड एडवांस में साढ़े 76 करोड़ जारी
लॉकडाउन के बाद अप्रैल महीने से कोविड एडवांस योजना के तहत 44 हजार 679 क्लेम निपटाए जा चुके हैं। इनकी कुल राशि 76 करोड़ 46 लाख 26 हजार 551 रुपये है। जबकि, सामान्य पीएफ क्लेम की राशि इससे अधिक है।

बता दें कि लॉकडाउन लागू होने के बाद ईपीएफओ द्वारा अप्रैल महीने से कोविड एडवांस योजना शुरू की गई, जिसमें कर्मचारियों को पीएफ की 75 प्रतिशत तक राशि निकालने की छूट दी गई है। इसके क्लेम को तीन दिन के भीतर निपटाने का लक्ष्य रखा है।

स्टाफ की कमी के कारण बढ़ा काम का बोझ

ईपीएफ कार्यालय में 122 पद सृजित हैं, जिनमें मौजूदा समय में 52 अधिकारी-कर्मचारी ही तैनात हैं। 55 अधिकारी-कर्मचारियों की नियुक्ति भी लॉकडाउन के चलते महीनों से अधर में फंसी हुई है। दिसंबर अंत तक स्टेनोग्राफर टेस्ट प्रस्तावित है। स्टाफ की कमी के चलते अधिकारी-कर्मचारियों पर भी काम का बोझ बढ़ा है। हालांकि, इसके बावजूद अधिकारी-कर्मचारी रोजाना हजार से ज्यादा क्लेम निपटा रहे हैं।

 

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