नैनीताल में क्रिसमस और थर्टी फर्स्ट पर रात का कर्फ्यू लग सकता है। जिला मॉनिटरिंग कमेटी ने हाईकोर्ट को रात आठ बजे से सुबह दस बजे तक कर्फ्यू लगाने का सुझाव दिया है। हाईकोर्ट ने सरकार से इस सुझाव पर अमल करने को कहा है। यह बात हाईकोर्ट ने बुधवार को क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कही।
इस दौरान सरकार ने कुम्भ के लिए एसओपी जारी करने की जानकारी भी अदालत को दी। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि हरिद्वार कुम्भ मेले के लिए सरकार अगली सुनवाई से पहले एसओपी जारी कर दी जाएगी। जिससे मेले के दौरान भीड़, भगदड़ न हो और समाजिक दूरी बनी रहे। कुम्भ मेले की तैयारियों को लेकर सरकार ने एक शपथपत्र पेश किया, जिसे कोर्ट ने अपने रिकॉर्ड में ले लिया है। अगली सुनवाई 6 जनवरी 2020 को होगी। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई।
पुल और फ्लाईओवर निर्माण की गति धीमी
खंडपीठ के समक्ष जिला मॉनिटरिंग कमेटी हरिद्वार की ओर से बताया गया कि कुम्भ मेले को लेकर हरिद्वार में जो पुल व फ्लाईओवर बन रहे हैं, उनकी गति धीमी है। इन्हें देखकर लगता है कि शायद ही वे कुम्भ मेले से पहले बनकर तैयार हो पाएं। इस पर सरकार की तरफ से जवाब दिया गया कि यह कार्य नेशनल हाईवे करा रही है। इससे राज्य सरकार का कोई मतलब नहीं है।
दून व मसूरी में सार्वजनिक आयोजन पर रोक
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा कि नैनीताल, मसूरी व देहरादून में क्रिसमस व 31 दिसंबर को होने वाली पार्टियों को रोकने के लिए सरकार ने क्या इंतजाम किए हैं। इसका जवाब देते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि देहरादून व मसूरी में जिलाधिकारी द्वारा सभी होटलों, सार्वजनिक स्थानों, ढाबो में पार्टियां करने पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गई है। आयोजन कराने वाले संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिस पर कोर्ट ने संतुष्टि जताई।
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65 स्कीम लागू करने की रिपोर्ट मांगी
राज्य सरकार द्वारा कोर्ट को यह भी बताया गया कि उसके द्वारा केंद्र सरकार की 65 स्कीम राज्य में लागू की जा चुकी हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि इन स्कीमों में अनियमितताएं बरती गई हैं। इन पर सुनवाई बाद में की जाए। कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि अगली सुनवाई से पहले कोर्ट में एक नया शपथपत्र पेश करें।
ये हैं याचिकाएं
मामले के अनुसार अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारंटाइन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की थीं। पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी।
माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं। सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। इसका संज्ञान लेकर कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटियां गठित करने के आदेश दिए थे और कमेटियों से सुझाव भी मांगे थे।