दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर नए कृषि कानून के विरोध में धरना दे रहे किसानों को सर्द हवाओं एवं बारिश से बचाने के लिये बाजपुर के समाजसेवी किसान आगे आये हैं। इन किसानों ने चंदा जुटाकर 40 ऐसे टेंट की व्यवस्था की है जिनमें अंदर न तो सर्द हवायें असर कर पायेंगी और न ही बारिश। इतना ही नहीं इन टेंटों के अंदर आठ से 10 लोगों के रहने की भी व्यवस्था के साथ मोबाइल चार्जिंग की भी व्यवस्था है। गाजीपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों की मदद कर रहे युवाओं ने बताया कि केंद्र सरकार के साथ ही इस समय दिल्ली का सर्द मौसम भी किसानों का दुश्मन बना हुआ है। इन किसानों के समर्थन में हर कोई अपने स्तर से अपनी सेवायें दे रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय किसान व अन्य लोग भी गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसानों की मदद करना चाहते थे और इन किसानों की मदद का सबसे अच्छा तरीका उन्हें दिल्ली की सर्द हवाओं व बारिश से बचाना लगा। इसके लिये इन लोगों ने 40 ऐसे टेंट लेने का प्रयास किया है जिनमें न तो हवा प्रवेश कर पाये और न ही बारिश। उन्होंने बताया कि लोगों की मदद से इन लोगों ने 40 टेंट गाजीपुर में स्थापित कर दिये हैं। इन टेंटों में 300 के करीब किसान आसानी से अपनी रात गुजार सकते हैं। बताया कि इन वाटरप्रूफ टेंट में मोबाइल चार्जिंग के साथ ही रूम हीटर आदि की भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा 100 से अधिक आर्मी टेंट भी लगाये गये हैं। इनमें भी किसानों के रुकने का प्रबंध किया गया है। चंदा एकत्रित कर गाजीपुर में मदद कर रही टीम के साथी अजीत प्रताप रंधावा ने बताया कि अभी तक उनकी टीम स्वयं व अन्य लोगों से लाखों का चंदा एकत्र कर चुके हैं। इस चंदे में वाटरप्रूफ टेंट, रसद, बिस्तर से लेकर अन्य सुविधाएं किसानों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।
एक दर्जन किसानों की बनाई टोली
बाजपुर। किसानों की मदद करने का जिम्मा उठाए इन युवाओं ने अपनी क्षमता का प्रयोग करते हुए ऐसे करीब एक दर्जन किसानों की टोली बनाई हैं जो गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों के लिये रसद, गर्म पानी, कपड़े, टेंट आदि की व्यवस्था कर सके। बीते एक माह से यह टोली अपने इस कार्य को बखूबी अंजाम दे रही है और गाजीपुर में ही किसानों को उनके घर होने का एहसास दिला रही है। 500 से लेकर 50 हजार तक मिल रहा चंदा
बाजपुर। युवा किसान अजीत प्रताप रंधावा ने बताया कि अभी तक यह टोली स्वयं अपने पास व अन्य लोगों से चंदा एकत्र कर अन्य किसानों की मदद करने में जुटी है। उन्होंने बताया कि किसानों के अलावा नगर के व्यापारी व आम लोग भी आगे आ रहे हैं। 500 से लेकर 50000 तक की धनराशि भी लोग किसानों के लिये प्रदान कर किसानों का हौसला बढ़ा रहे हैं।
एक माह से धरने पर बैठे निर्मल सिंह और प्रताप सिंह
बाजपुर। गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले एक महीने से धरने पर बैठे युवा किसान निर्मल सिंह सिद्धू एवं प्रताप सिंह संधू अपनी खेती किसानी छोड़कर अपने अन्य साथियों के साथ गाजीपुर में डटे हैं। इन किसानों का कहना है कि इन काले कानूनों के बाद किसानी खत्म हो जायेगी। ऐसे में जब किसानी ही नहीं रहेगी तो किसान कहां रहेंगे? इन लोगों ने केंद्र सरकार से इन काले कानूनों को तुरंत वापस करने की मांग की है।
किसानों के लिए बाजपुर से जा रहा दूध और लस्सी
बाजपुर। क्षेत्र से 230 किमी दूर गाजीपुर में किसानों के लिये चलाये जा रहे लंगर में क्षेत्र के किसान दूध लस्सी आदि लेकर पहुंच रहे हैं। किसानों के घर से जा रहे दूध, लस्सी, देशी घी लंगर की शुद्धता व स्वाद और बढ़ा रहे हैं।
बाजपुर के किसान ने दिए 100 आर्मी टेंट
बाजपुर। गाजीपुर में धरने पर बैठे किसानों को मदद मुहैया कराने के लिये एक क्षेत्रीय किसान ने करीब 100 आर्मी टेंट उपलब्ध कराये हैं। इस किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह वास्तव में किसानों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन वह सेवा के बदले किसी प्रकार का कोई दिखावा नहीं करना चाहते। उधर, युवाओं की टोली अभी तक 40 वाटरप्रूफ टेंटों के साथ ही करीब 140 से अधिक अन्य टेंट की व्यवस्था कर चुकी है।