देश में कोरोना का कहर अपने चरम पर है और हर दिन कोविड-19 से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। कोरोना की दूसरी लहर से स्वास्थ्य सुविधाएं तो चरमराई ही हैं, साथ ही इंसानियत ने भी जवाब दे दिया है। देश के कई इलाकों से ऐसी खबरें सामने आई हैं, जहां लोगों ने इस आपदा को अवसर बनाया और जरूरतमंद दवाओं और ऑक्सीजन की कालाबाजारी की। हालांकि आपदा को अवसर बनाने वाले ऐसे लोगों के बीच कई संवेदनशील कहानियां भी सामने आई हैं, जिन्होंने दिल छुआ है। कई लोग कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे लोगों की मदद करने बाहर आए और सरकार और प्रशासन से ज्यादा लोगों की मदद की। ऐसी ही एक कहानी गुजरात के अहमदाबाद से आई है, जहां पिछले साल कोरोना काल में अपने इकलौते बेटे को खो चुके रसिक मेहता और उनकी पत्नी लोगों की मदद कर रहे हैं। पिछले साल अपने बेटे को खोया, अब दूसरों की कर रहे हैं मदद
बता दें कि अहमदाबाद के रसिक मेहता और उनकी पत्नी कल्पना कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों की मदद कर रहे हैं। पिछले साल कोविड 19 की वजह से उन्होंने अपना बेटा खो दिया था। दोनो मेहता दंपती ने अपने बेटे के लिए 15 लाख रुपये की एफडी कराई हुई थी। 350 से ज्यादा लोगों को लगवाया कोरोना का टीका
अब जब उनका बेटा नहीं बचा है तो वो एफडी की राशि से दूसरे लोगों की मदद कर रहे हैं। इस राशि के जरिए दोनों दंपती अब तक 200 आइसोलेट मरीजों को कोरोना की किट मुहैया करा चुके हैं और 350 से ज्यादा लोगों को अपने खर्च पर कोविड-19 की टीका लगवा चुके हैं। मेहता दंपती जरूरतमंद लोगों की कर रहे मदद
रसिक मेहता का कहना है कि अपने बेटे के जाने के बाद हमें महसूस हुआ कि क्यों ना हम उन सभी लोगों की मदद करें, जो असम में इसके हकदार हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक संभव होगा, हम मदद करेंगे। उन्होंने बताया कि वो रोज सुबह ऐसे लोगों को तलाशते हैं, जिन्होंने अब तक टीका नहीं लगवाया है। इन लोगों को वो खुद की कार में टीका लगवाने ले जाते हैं। मेहता कहते हैं कि जो हमारे साथ हुआ, हमारी कोशिश है कि वो किसी के साथ ना हो।