एक वकील को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की नाराजगी का इसलिए सामना करना पड़ा क्योंकि वह ऑनलाइन माध्यम से एक ही समय में दो अलग-अलग कोर्ट में दलील दे रहा था। असल में बृहस्पतिवार को एक ही वकील को दो अलग-अलग मामलों में पेश होना था। इसमें से एक केस सीजेआई एनवी रमना की अदालत में चल रहा था। ऐसे में वकील दो कंप्यूटर के माध्यम से दोनों ही अदालतों से जुड़ गया। इस बीच जैसे ही सीजेआई की कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो वह दूसरी बेंच के सामने दलीलें देने लगा, जिस कारण उसे सीजेआई से डांट पड़ गई। कंप्यूटर को म्यूट करना भूला
दरअसल, जिस कंप्यूटर से वकील सीजेआई की बेंच से जुड़ा था, वह उस पर खुद को म्यूट मोड पर डालना भूल गया। वह दूसरी बेंच के सामने दलीलें देने में इतना खो गया कि उसे सीजेआई की बेंच की बातें भी नहीं सुनाई दे रही थीं। जबकि सीजेआई की बेंच के सामने मामले से जुड़ा वकील दलीलें पहले से ही दे रहा था। इससे एक साथ सीजेआई को दोनों वकीलों की दलीलें सुनाई देने लगीं। नाराज हुए सीजेआई ऐसे में सीजेआई नाराज हो गए और कहा कि अगर आप दोनों एक साथ दलीलें देकर आपस में चर्चा करना चाहते हैं, तो कोर्ट से बाहर हो जाएं। इतने पर भी दो केस में एक साथ पेश होने वाले वकील ने सीजेआई की बात नहीं सुनीं और दलीलें जारी रखीं। बस फिर क्या था सीजेआई भड़क उठे और कहा कि आप हमारे सामने अन्य मामले में दलीलें दे रहे हैं। यह अनुशासनहीनता है। सीजेआई कि यह बात वकील के कानों में पड़ गईं और तब उसने पूछा कि माई लॉर्ड आप मुझसे कुछ कह रहे हैं? इतने पर तो सीजेआई को और गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा, ‘नहीं, हम तो दीवार से बात कर रहे हैं।’
मांग खारिज बता दें, बृहस्पतिवार को दो अलग-अलग मामलों में सीजेआई रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से निचली अदालत को केस का ट्रायल जल्द निपटाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। सीजेआई ने कहा कि मौजूदा कोरोना महामारी के समय में जैसे हालात हैं, उसमें हम निचली अदालतों को इस प्रकार के आदेश जारी नहीं कर सकते। राष्ट्र संकट का काल चल रहा है। न्यायपालिका भी चुनौतियों से जूझ रही है। जब हालात सामान्य हो जाएं तो आप इसकी मांग हाईकोर्ट में कर सकते हैं।