ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस और एस्परजिलोसिस के मामले भी सामने आने लगे हैं। बड़ी संख्या में लोग जानलेवा फंगस की चपेट में आ रहे है। भारत में तीन तरह के ट्रू पैथोजेनिक सिस्टेमिक फंगस बेहद घातक होते हैं। ये फंगस हमारे आसपास ही पनपते हैं, इसलिए केवल सावधानी से ही इनसे बचा जा सकता है।
शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के चलते फंगस संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि अधिकांश फंगस संक्रमण में एंटीफंगल दवाएं कारगार होती हैं। माक्रोबायोलोजी विशेषज्ञों के अनुसार देश में ट्रू पैथोजेनिक सिस्टेमिक फंगस के हिस्टो प्लाज्मा, ब्लॉस्टोमाइटिस डर्मेटाइडिटिस, पेनिसिलियम मार्नेफाइ (केवल मणिपुर) में तीन प्रकार मिलते हैं।
यह फंगस फेफड़ों में संक्रमण और बुखार पैदा करता है। यदि यह ब्लड में चला गया तो कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान (एम्स) ऋषिकेश के ईएनटी विभाग के डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि देश में इस समय में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस), व्हाइट फंगस (कैंडिड) एस्परजिलोसिस मामले सामने आ रहे हैं। म्यूकोरमाइकोसिस ग्रुप और फंगस है। ये सभी अवसरवादी फंगस हैं।