उत्तराखंड में बाल रोग विशेषज्ञों की बेहद कमी है। चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई है। यह भी कहा गया है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा घातक होगी। ऐसे हालात बच्चों की सेहत पर भारी पड़ेंगे।
उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से काफी पिछड़ा हुआ है। खासतौर पर पहाड़ी जिलों में बाल रोग विशेषज्ञों की बेहद कमी है। आलम यह है कि चमोली और नई टिहरी में एक-एक, उत्तरकाशी में दो, हरिद्वार में छह, रुद्रप्रयाग में तीन, पौड़ी में 12, राजधानी देहरादून में 69 सरकारी डॉक्टरों के भरोसे लाखों बच्चों की सेहत है। ये तो हाल गढ़वाल मंडल का है।
कुमाऊं मंडल में स्थिति कमोबेश यही है। चंपावत में एक डॉक्टर के भरोसे बच्चों की सेहत है। ऊधम सिंह नगर में शिशुओं की संख्या करीब एक लाख है। जबकि जिले के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ पांच बाल रोग विशेषज्ञ ही तैनात हैं। पिथौरागढ़ में तीन और नैनीताल में 11 बाल रोग विशेषज्ञ हैं। बागेश्वर में दो और अल्मोड़ा में मात्र सात बाल रोग विशेषज्ञ तैनात हैं।