राजधानी के दो बड़े अस्पतालों में ब्लैक फंगस (म्यूकॉर माइकोसिस) का इलाज करा रहे करीब 70 फीसदी मरीज मधुमेह से भी पीड़ित पाए गए हैं। जांच के दौरान यह बात सामने आई है। इससे पता चलता है कि कोरोना संक्रमण के अलावा मधुमेह भी ब्लैक फंगस होने का एक प्रमुख कारण है। डॉक्टरों का कहना है कि ब्लैक फंगस से बचाव के लिए शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है।
दिल्ली में ब्लैक फंगस के एक हजार ज्यादा मामले आ चुके हैं। इनमें से 89 की मौत हो चुकी है और 92 स्वस्थ हुए हैं। कई बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज चल रहा है। सर गंगाराम अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में 100 से ज्यादा मरीज भर्ती हो चुके हैं। इनमें से 70 फीसदी रोगी मधुमेह से पीड़ित मिले हैं। इनमें कुछ ऐसे हैं जिनका पहले से ही शुगर नियंत्रण में नहीं थी। बाकी के मरीजों में कोरोना के इलाज के दौरान दी गई दवाओं के चलते शुगर का स्तर बढ़ गया था। डॉक्टर ने बताया कि जांच से यह पता चलता है कि कोरोना संक्रमित या इससे स्वस्थ हुए जिन रोगियों के शरीर में शुगर का स्तर नियंत्रण में नहीं रहा, अधिकतर वह ही ब्लैक फंगस ग्रसित हुए हैं। अस्पताल में भर्ती हुए 22 रोगियों की स्थिति काफी बिगड़ गई थी। उनकी जान बचाने के लिए आंख की सर्जरी की गई। जीटीबी अस्पताल के म्यूकॉर वार्ड में तैनात एक डॉक्टर ने बताया कि उनके यहां ब्लैक फंगस के 107 मरीज भर्ती हैं। इनमें करीब 75 रोगी मधुमेह से पीड़ित थे। साथ ही कोरोना के इलाज के दौरान इन मरीजों को स्ट्रॉयड भी दिए गए थे। इस कारण उनके शरीर में शुगर का स्तर बढ़ गया था, जो बाद में नियंत्रित नहीं हो सका था। इसी कारण वह फंगस की चपेट में आ गए थे।