अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में मिठाई खरीदने के बाद अपनेघर की ओर जा रहे एक समुदाय के व्यक्ति की हत्या के आरोपी सात लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के ठोस साक्ष्य है। कड़कड़डूमा जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने अपने फैसले में आरोपी अमन कश्यप, अरुण कुमार, आशीष, देवेंदर कुमार, प्रदीप राय, कृष्ण कांत धीमान और राहुल भारद्वाज के खिलाफ अभियोग तय किए हैं। अदालत ने इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा, घातक हथियार से लैस), भारतीय दंड संहिता की धारा 149 (गैरकानूनी सभा के किसी भी सदस्य द्वारा किए गए अपराध) समेत अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का निर्देश दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष धारा 188 के तहत (एक लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा), 427 (50 रुपये से अधिक की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने) व 436 (आग या विस्फोटक पदार्थ से घर, आदि को नष्ट करने) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान के आरोपों को पहली नजर में साबित नहीं कर पाया। पुलिस के अनुसार इस मामले में पीड़ित मोनिश अपने पिता से मिलने और मिठाई लेकर घर लौट रहा था। वह जब यमुना विहार बस स्टैंड पहुंचा तो देखा कि दंगे भड़क गए थे। भीड़ में शामिल आरोपियों ने उसे लाठी-डंडों और पत्थरों से मारा था।
अदालत ने कहा हालांकि कि आरोपियों को किसी भी सीसीटीवी फुटेज/वीडियो-क्लिप में नहीं देखा गया मगर वर्तमान में अभियोजन पक्ष के चश्मदीद गवाहों पर भरोसा किया जाना जरूरी है। वहीं बचाव पक्ष ने तर्क रखा कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है और उन्हें फर्जी मामले में फंसाया गया है।