कोरोना के चलते पहली बार खाली स्टेडियमों में हुए ओलंपिक खेलों में महिलाशक्ति ने भी अपनी ताकत का खूब एहसास करवाया। खेलों के 125 साल के इतिहास में पहली बार टोक्यो खेलों में लैंगिक समानता देखने को मिली।
इन खेलों में महिला (49 फीसद) और पुरुष खिलाड़ियों (51 फीसद) की भागीदारी लगभग समान रही। तो पदक जीतने और रिकॉर्ड बनाने में भी महिला खिलाड़ी पुरुषों के बराबर ही रहीं। टोक्यो में महिलाओं के पदक जीतने का प्रतिशत 45.5 रहा। कनाडा की महिलाओं का जीत प्रतिशत सबसे अधिक रहा।
पदक तालिका में शीर्ष पर रहा अमेरिका इस मामले में तीसरे तो नीदरलैंड दूसरे नंबर पर रहा। कनाडा के कुल 24 पदकों (7 स्वर्ण, 6 रजत, 11 कांस्य) में से एक तिहाई यानि 75 प्रतिशत महिलाओं ने जीते। अमेरिका के कुल 113 पदकों में (39 स्वर्ण, 41 रजत, 33 कांस्य) करीब 60 प्रतिशत महिलाओं के खाते से आए।
42.85 योगदान रहा भारतीय बेटियां का
भारत ने इन खेलों में कुल सात पदक जीते जिसमें से तीन बेटियों के नाम रहे हैं। भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने रजत तो शटलर पीवी सिंधू को मुक्केबाज लवलीना ने कांस्य पदक जीते। कुल पदकों में बेटियों का प्रतिशत 42.85 रहा जो अब तक का रिकॉर्ड है। लंदन और रियो में बेटियों ने दो-दो पदक जीते थे। इस बार हैट्रिक लगाकर रिकॉर्ड बनाया।
रिकॉर्ड तोड़ने में भी रहीं बराबर : महिला खिलाड़ी विश्व रिकॉर्ड तोड़ने में भी पुरुषों के बराबर रहीं। तैराकी में कुल छह विश्व रिकॉर्ड टूटे जिसमें से तीन महिलाओं ने तोड़े। इसी तरह एथलेटिक्स में भी महिलाओं ने तीन तो साइक्लिंग में भी तीन रिकॉर्ड ध्वस्त किए। कुल 22 विश्व रिकॉर्ड टूटे।
टोक्यो में महिलाओं का प्रदर्शन
देश स्वर्ण रजत कांस्य कुल प्रतिशत
कनाडा 05 05 08 18 75.00
नीदरलैंड 04 04 10 18 60.00
अमेरिका 23 22 21 66 58.41
न्यूजीलैंड 06 03 02 11 55.00
चीन 22 16 09 47 53.41
जापान 14 08 08 30 51.72
ऑस्ट्रेलिया 10 02 09 21 48.82
आरओसी 09 15 08 32 45.07
ब्रिटेन 06 07 10 23 38.38
जर्मनी 04 03 05 12 32.43
एम्मा सात पदक जीतने वाली पहली तैराक
ऑस्ट्रेलिया की महिला तैराक एम्मा मैककॉन ने चार स्वर्ण सहित कुल सात पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया। मैककॉन एक ओलंपिक में सात पदक जीतने वाली पहली महिला तैराक और ओवरऑल (सभी खेलों को मिलाकर) दूसरी खिलाड़ी बनीं।