ऋषिकेश के मुनिकीरेती, लक्ष्मणझूला और स्वर्गाश्रम क्षेत्र में वीकेंड पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है। पर्यटक गर्मी से निजात पाने के लिए गंगा की ओर रुख करते हैं। नदी की गहराई और तटों का अंदाजा न होने के कारण वे पक्के घाटों को छोड़कर संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में मौज-मस्ती करने के लिए नदी में उतर जाते हैं। नतीजन वे हादसे का शिकार हो जाते हैं।
मुनिकीरेती और लक्ष्मणझूला क्षेत्र में महज आठ महीने में 18 पर्यटक बह चुके हैं। इनमें से 12 पर्यटकों के शव बरामद हो चुके हैं, जबकि 6 का कुछ पता नहीं लग सका है। हैरत की बात यह है कि इस सब के बावजूद मुनिकीरेती और लक्ष्मणझूला पुलिस की ओर से गंगा घाटों पर पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
थाना लक्ष्मणझूला के अंतर्गत बॉबे घाट, संतसेवा घाट, किरमोला घाट, राधेश्याम घाट, भागीरथी घाट और गंगा लाइन अतिसंवेदनशील घाट हैं। वीकेंड पर इन घाटों पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है। पुलिस की ओर से इन घाटों पर कोई चेतावनी बोर्ड नहीं लगाया गया है। खानापूर्ति के लिए यहां पत्थरों पर खतरा लिखकर इतिश्री की गई है।
वहीं, थाना मुनिकीरेती क्षेत्र की बात करें तो तपोवन स्थित नीमबीच, सच्चाधाम घाट, दर्शन कॉलेज घाट और पूर्णानंद घाट अतिसंवेदनशील घाट हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन की ओर से यहां सैलानियों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। वर्ष 2019 में 16 और वर्ष 2020 में 15 पर्यटक इन घाटों पर अपनी जान गंवा चुके हैं।