मसूरी के हाथीपांव स्थित ऐतिहासिक जार्ज एवरेस्ट हाउस पर्यटकों को आकर्षित करेगा। सात दिसंबर को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज नवनिर्मित जार्ज एवरेस्ट हाउस का लोकार्पण करेंगे। उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय सहायता से खंडहर हो चुके सर जार्ज एवरेस्ट हाउस को जीर्णोद्धार किया है। जिस पर लगभग 23.69 करोड़ की राशि खर्च की गई।
मसूरी में गुजारा था जीवन का एक लंबा अरसा
सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नाम रखा गया। सर जार्ज ने जीवन का एक लंबा अरसा मसूरी में गुजारा था। वेल्स के इस सर्वेयर एवं जियोग्राफर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी। इसलिए ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वॉ की सिफारिश पर वर्ष 1865 में इस शिखर का नामकरण उनके नाम पर हुआ। इससे पहले इस चोटी को पीक-15 नाम से जाना जाता था। मसूरी के हाथीपांव के समीप 172 एकड़ जमीन बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस (आवासीय परिसर) और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (ऑब्जर्वेटरी) का जीर्णोद्धार का कार्य किया गया। 18 जनवरी 2019 को पर्यटन मंत्री ने इस कार्य का शिलान्यास किया था।