देहरादून। अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड की अलग-अलग ग्राम पंचायतों के प्रधानों के द्वारा राजधानी दून के परेड मैदान पर धरना दिया जा रहा है। ग्राम प्रधान अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार से भी वार्ता कर चुके हैं किन्तु सरकार द्वारा उनकी मांगों पर कोई गौर नहीं किया गया। धरने के दौरान एक महिला प्रधान की हालत भी बिगड़ गयी थी।
प्रधानों की पीड़ा को ध्यान में रखते हुए एवं उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश सचिव आज़ाद अली ने परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर पहुंचकर धरना दे रहे प्रधानों का हाल जाना और उनकी समस्याओं को सुना।
आज़ाद अली ने प्रधानों के धरने को अपना समर्थन देते हुए कहा कि राज्य की भाजपा सरकार तानाशाही पर उतर आई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की संवेदनाऐं मर चुकी हैं। आलम ये है कि उन्हें किसी का दुख और दर्द नज़र ही नहीं आता।
आज़ाद अली ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानों के प्रतिनिधि मंडल ने जब टिहरी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर अपनी माँगो से उन्हें अवगत कराया तो सीएम साहब का जवाब था कि “प्रधान होता ही क्या है और तुम इतना शोर क्यों मचा रहे हो।” आज़ाद अली ने कहा कि मुख्यमंत्री का ये संवेदनहीन और गैर जिम्मेदाराना बयान उनके अनुभवहीन होने का प्रमाण है। उनका ये आचरण वाकई शर्मनाक है।
धरने के दौरान नैनीताल से आयीं एक महिला प्रधान की अचानक तबियत खराब हो गयी किन्तु शासन और प्रशासन के द्वारा उनकी कोई सुध नहीं ली गयी। इस बाबत जब आज़ाद अली ने नगर मजिस्ट्रेट और प्रशासन के अन्य अधिकारियों से वार्ता की तो उन्होंने ठीकरा मुख्य चिकित्साधिकारी के सिर फोड़ दिया।
आज़ाद अली ने बताया कि ग्राम प्रधानों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर राज्य के संबंधित मंत्री अरविंद पाण्डे से भी मुलाकात कर उन्हें अपनी मांगों से अवगत करवाया गया किन्तु जानकारी का अभाव होने की वजह से वे भी प्रधानों की बातों को नहीं समझ पाए।
आज़ाद अली ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली राज्य की भाजपा सरकार महज प्रधानों पर ही नहीं बल्कि हर वर्ग के लोगों पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का हाल “अंधेर नगरी चौपट राजा” जैसा हो गया है। जिसमें प्रदेश की आम जनता घुटन महसूस कर रही है। आज प्रदेश की जनता भाजपा को वोट देकर पछता रही है। भाजपा सरकार का ये अड़ियल रवैया उसे भविष्य में महंगा पड़ेगा और उत्तराखंड से उसका सूपड़ा साफ होगा।