नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इस दीपावली पर दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों (एनसीआर) में 31 अक्टूबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पिछले साल का अपना आदेश बहाल कर दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दीपावली के बाद 11 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बेचने पर बैन लगा दिया था, लेकिन 12 सितंबर को कुछ शर्तों के साथ इसे हटा लिया था। इसके बाद एक पिटीशन में इस फैसले को वापस लेने की मांग की गई थी।
पॉल्यूशन की वजह से बैन:
– दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते पॉल्यूशन की वजह से पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई गई है।
– पिछले महीने पटाखों की बिक्री से बैन हटाए जाने के बाद अर्जुन गोपाल नाम के शख्स ने इसके खिलाफ पिटीशन लगाई थी।
– गोपाल का कहना था कि पिछले साल भी दीपावली के बाद दिल्ली में पॉल्यूशन काफी बढ़ गया था।
CPCB ने भी की थी बैन की मांग
– सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने भी पटाखों की बिक्री पर बैन की मांग का सपोर्ट किया था।
– हालांकि, लाइसेंस लेकर पटाखे बेचने वाले कारोबारियों ने इसका विरोध किया था। उनका कहना था कि 12 सितंबर का फैसला सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद ही लिया गया था।
जिन्होंने पटाखे खरीद लिए, वे चला सकते हैं
– केस से जुड़ी वकील हरिप्रिया पद्मनाभन ने कहा कि पटाखों की बिक्री के लिए जारी किए गए सभी टेम्परेरी लाइसेंस रद्द हो गए हैं। आज (सोमवार) से दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री नहीं होगी।
– उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने पहले से पटाखे खरीद लिए थे वे इन्हें चला सकते हैं। हालांकि, उम्मीद करते हैं कि वे ऐसा न करें।
– केस से जुड़ी एक अन्य वकील पूजा धर ने कहा कि पटाखों की बिक्री 1 नवंबर से फिर की जा सकेगी।
– हालांकि, पहले से पटाखों का स्टॉक कर चुके कारोबारियों ने इस पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि वो अब ये बोझ कैसे सहन करेंगे।
बैन हटाने पर SC ने ये शर्तें रखी थीं
– पटाखों की बिक्री के लिए पुलिस की निगरानी में लाइसेंस दिए जाएं।
– 2016 में जितने लाइसेंस दिए गए इस बार उससे 50% ही दिए जाएं।
– साइलेंस जोन (हॉस्पिटल, कोर्ट, धार्मिक स्थल और स्कूल) के 100 मीटर के दायरे में पटाखे न चलाए जाएं।
– पटाखे बनाने में लीथियम, लेड, पारा, एंटीमोनी और आर्सेनिक का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
– दिल्ली-एनसीआर में अगले आदेश तक दूसरे राज्यों से पटाखे न लाए जाएं।
– इस साल दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर के लिए 50 लाख किलो पटाखे पर्याप्त हैं।