कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की आज तीसरी बरसी है. तीन साल पहले आज ही के दिन (14 फरवरी) जम्मू कश्मीर के पुलवामा में CRPF के वाहन पर आतंकी हमला हुआ था. जम्मू के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से CRPF जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे और कई गंभीर रूप से घायल हुए. इसके बाद सरकार की नीतियों ने कड़ा रुख किया और आतंक की कमर तोड़ने के कई अभियान चलाए. तीसरी बरसी से पहले पुलवामा अटैक को लेकर आई एक किताब में अहम खुलासा किया गया है. जिसके मुताबिक आत्मघाती हमलावर द्वारा विस्फोट में उड़ा दी गई बस के ड्राईवर जयमल सिंह को उस दिन गाड़ी नहीं चलानी थी और वो किसी अन्य साथी की जगह पर आए थे. भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी दानेश राणा वर्तमान में जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हैं. उन्होंने पुलवामा हमले से जुड़ी घटनाओं पर ‘‘एज फॉर एज दी सैफ्रन फील्ड’’ नामक किताब लिखी है जिसमें हमले के पीछे की साजिश का जिक्र किया गया है. साजिशकर्ताओं के साथ की गई पूछताछ, पुलिस के आरोप पत्र और अन्य सबूतों के आधार पर राणा ने कश्मीर में आतंकवाद के आधुनिक चेहरे को रेखांकित करते हुए 14 फरवरी 2019 की घटनाओं के क्रम को याद करते हुए लिखा है कि कैसे काफिले में यात्रा कर रहे CRPF के जवान रिपोर्टिंग टाइम से पहले ही आने लगे थे. नियम के अनुसार, अन्य ड्राइवरों के साथ पहुंचने वाले आखिरी लोगों में हेड कांस्टेबल जयमल सिंह शामिल थे. ड्राइवर हमेशा सबसे आखिरी में रिपोर्ट करते हैं. उन्हें नींद लेने के लिए एक्स्ट्रा आधे घंटे की अनुमति है क्योंकि उन्हें मुश्किल यात्रा करनी पड़ती है. राणा ने लिखा है, ‘‘जयमल सिंह को उस दिन गाड़ी नहीं चलानी थी, वह दूसरे सहयोगी की जगह पर आए थे.