नृसिंह मंदिर में वैदिक पूजा-अर्चना संपन्न होने के बाद आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी और बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हो गए हैं। शाम करीब चार बजे वे रात्रि प्रवास के लिए पांडुकेश्वर पहुंचे। शनिवार को रावल के साथ देव डोलियों ने बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया।
इसके साथ ही गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा भी बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हो गई है। आठ मई को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 6:15 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे। शुक्रवार को जोशीमठ नृसिंह मंदिर में वैदिक पूजाएं संपन्न होने के बाद आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल के साथ ही श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के वेदपाठी आचार्य ब्राह्मण व अधिकारीगण योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुए।
जय बदरीनाथ
नृसिंह मंदिर में इस दौरान स्थानीय महिलाओं ने मांगल गीत गाए और यात्रा को विदा किया। इस दौरान जय बदरीनाथ के जयघोष से भगवान नृसिंह की नगरी जोशीमठ गुंजायमान हो उठी। बीकेटीसी के उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने कहा कि धाम में तीर्थयात्रियों को कोई असुविधा नहीं होने दी जाएगी।