नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है। दो चरणों (9 दिसंबर, 14 दिसंबर) में होने वाले मतदान का परिणाम 18 दिसंबर को देश और दुनिया के सामने आएगा। लेकिन नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले गुजरात की फिजां में बयानों के जरिए भाजपा और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। भाजपा जहां एक तरफ अपनी विजय पताका को एक बार फिर गाड़ने की कोशिश कर रही है, तो वहीं करीब दो दशक तक सत्ता से बाहर कांग्रेस वापसी के लिए पुरजोर ढंग से जुटी है। राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी जीत के संदर्भ में अपने-अपने दावे कर रहे हैं। लेकिन सबसे पहले आपको बताते हैं कि 2007 और 2012 में भाजपा और कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा था। 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहली बार ये चुनाव पीएम नरेंद्र की अगुवाई के बगैर लड़ा जाएगा। वहीं कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका तब आया जब उनके कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी छोड़ दी। लेकिन कांग्रेस का कहना था कि शंकर सिंह वाघेला के पार्टी छोड़ने से उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं है। कांग्रेस पार्टी के पास तमाम वो मुद्दे हैं, जिसके जरिए वो आम जन के पास जाएंगे। गुजरात में भाजपा शासन में समाज का हर वर्ग तबाह है, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी कहते हैं कि राज्य का व्यापारी वर्ग, पाटीदार समुदाय, दलित समुदाय आज परेशान है और उनकी दिक्कतों का समाधान सिर्फ वो ही कर सकते हैं। कांग्रेस के राज्यस्तर या राष्ट्रीय स्तर के नेता चाहे जो कुछ भी कहें भाजपा का कहना है कि उनका हश्र 2012 के चुनाव में जनता देख चुकी है। कांग्रेस के पास घिसे पिटे मुद्दों के अलावा और कोई मुद्दा नहीं है। इस सिलसिले में हमने गुजरात के आम लोगों के मूड को भांपने की कोशिश की।