एक औसत यूज़र ऑनलाइन गेमिंग पर रोज़ एक घंटे से कम और महीने में 100 रुपये से कम खर्च करता है: रिपोर्ट

  • एस्या सेंटर की रिपोर्ट में तीन डिजिटल मनोरंजन के साधनों: सोशल मीडिया, ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग में बाजार की ताकतों और यूज़र के व्यवहार का मूल्यांकन किया गया है।
  • इससे पता चलता है कि उपयोगकर्ता के समय-व्यय और धन-व्यय के आँकड़े नीति निर्माताओं की ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित चिंताओं का समर्थन नहीं करते।
  • इस रिपोर्ट का शैक्षणिक संस्करण आईआईएम-ए वर्किंग पेपर में प्रकाशित हुआ है।

नई दिल्ली : अग्रणी टेक एवं पॉलिसी थिंक टैंक, एस्या सेंटर ने आज अपनी रिपोर्ट “न्यू-एज डिजिटल कंजम्पशन: ए सर्वे ऑफ सोशल मीडिया, ओटीटी कंटेंट एंड ऑनलाइन गेमिंग” का अनावरण किया। इस रिपोर्ट में तीन डिजिटल मनोरंजन के साधनों: सोशल मीडिया, ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग, रियल मनी गेमिंग, ई-स्पोर्ट्स और कैज़ुअल गेमिंग सहित, में यूज़र्स के उपभोग और संलग्नता के पैटर्न का आकलन किया गया है। इस रिपोर्ट का एक शैक्षणिक संस्करण आईआईएम-ए वर्किंग पेपर में प्रकाशित हुआ है, जिसके सह-लेखक डॉ. रजत शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईएम-अहमदाबाद तथा डॉ. विकाश गौतम, एडजंक्ट फैलो, एस्या सेंटर हैं। इस पेपर में बताया गया है कि यूज़र के समय-व्यय या धन-व्यय के आँकड़े यूज़र द्वारा विशेष रूप से ऑनलाइन गेमिंग के दौरान अवांछित कार्यों के बारे में नीति संबंधी चिंताओं का समर्थन नहीं करते हैं।
इस रिपोर्ट के बारे में एस्या सेंटर के डायरेक्टर, अमजद अली खान ने कहा, “मुख्य डिजिटल बाजारों में ऐसे शोध की कमी थी, जिसमें नीति और यूज़र द्वारा एडॉप्शन के रुझानों का आकलन हो। हमारा मानना है कि इस रिपोर्ट के परिणाम खासकर ऐसे समय में बहुत उपयोगी हैं, जब सरकार डिजिटल उद्योगों के लिए यूज़र पर केंद्रित नीतियां बनाने की प्रक्रिया में है। हमें उम्मीद है कि यह रिपोर्ट एक अग्रगामी नीति बनाने में मदद करेगी जो पितृसत्तात्मक हस्तक्षेपों और कठोर प्रतिबंधों से यूज़र की सुरक्षा करने पर केंद्रित हो।”
भारत में नियामक परिदृश्य को अन्य समकक्षियों के मुक़ाबले ज़्यादा प्रगतिशील बताते हुए, श्री रजत शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (आईआईएम-ए) ने कहा, “भारत नये उद्योगों के लिए नियामक ओवरसाइट के एक कमांड-एंड-कंट्रोल मॉडल से एक लाइट टच मॉडल की ओर बढ़ रहा है। हाँलाँकि टेक्नोलॉजी गतिशील है, फिर भी उपभोग पैटर्न का अनुमान लगाना संभव है। इसलिए, एक डिजिटल नागरिक और उनके उपभोग पैटर्न का प्रोफाइल बनाकर इन तीन क्षेत्रों के लिए एक पुख़्ता नीति का परिवेश स्थापित किया जा सकता है। हमारी रिपोर्ट में यही प्रयास किया गया है।”

इस रिपोर्ट में दस प्रमुख शहरों: दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, पटना, मैसूर, लखनऊ, जयपुर और भोपाल में किए गए विस्तृत सर्वे के आंकड़ों को लिया गया है। इस सर्वे में 2,000 उत्तरदाताओं ने हिस्सा लिया, तथा 143 मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा 20.6 लाख से अधिक यूज़र्स के इन-ऐप आँकड़ों पर भी गौर किया गया।
इस रिपोर्ट के मुख्य परिणाम निम्नलिखित हैं:
• व्यवहारिक लॉक-इन: समय व्यतीत करने के मामले में दैनिक संलग्नता सोशल मीडिया के लिए सर्वाधिक 194 मिनट प्रतिदिन है। ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग के लिए यह क्रमशः 44 मिनट और 46 मिनट है।
• समय और उपयोग का पैटर्न: एक औसत यूज़र ऑनलाइन गेमिंग के लिए हर माह 100 रुपये से कम और प्रतिदिन एक घंटे से भी कम खर्च करता है, जबकि ओटीटी के लिए प्रतिदिन 200-400 रुपये खर्च होते हैं।
• क़ीमत की संवेदनशीलता: यूज़र्स का कहना है कि ऑनलाइन गेम्स का शुल्क 30% बढ़ाये जाने पर संलग्नता में 71% गिरावट हो सकती है, जिससे क़ीमतों को लेकर उच्च संवेदनशीलता प्रदर्शित होती है। ओटीटी के लिए यह संख्या केवल 17% होगी।
• यूज़र का प्रोत्साहन: ओटीटी तनाव को कम करने के लिए सबसे प्रभावशाली माना जाता है, 28% डिजिटल नागरिक ऑनलाइन गेमिंग को अपने रोजगार की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।
• यूज़र की दिलचस्पी: जहां सोशल मीडिया पर सभी यूज़र महीने में एक बार एक्विट होते हैं, वहीं ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग के लिए यह आँकड़ा क्रमशः 60% और 40% है। सोशल मीडिया पर रोज़ 89% यूज़र सक्रिय होते हैं जबकि ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग में क्रमशः केवल 22% और 12% यूज़र सक्रिय होते हैं।
यह रिपोर्ट जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद पेश की गई है, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर लगने वाले जीएसटी को सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) पर 18% से बदलकर जमा पर 28% कर दिया गया, जिससे उद्योग में जीएसटी लागत में 350%-400% की वृद्धि हो गई। जीएसटी में इस भारी बढ़ोतरी का कारण यूज़र की लत और पैसे के नुक़सान को बताया गया। यह भी दिलचस्प है कि इससे पहले MeitY ने इस उद्योग को नियमों के अन्तर्गत लाने के लिए इस साल नियमावली का प्रकाशन किया था। इन नियमों को संतुलित और यूज़र की सुरक्षा पर केंद्रित बताया गया। अब मंत्रालय द्वारा जल्द ही उद्योग की नियामक निगरानी के लिए सेल्फ-रेगुलेटरी संस्थाओं को अधिसूचना दिये जाने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग में यूज़र की सुरक्षा, शिकायत निवारण और केवाईसी की मुश्किल प्रक्रिया यूज़र की तीन प्रमुख समस्याएँ हैं। यद्यपि ओटीटी के यूज़र्स ने लगभग सभी खातों में अपना अनुभव सुगम बताया है, जिससे डिजिटल मनोरंजन के विविधतापूर्ण उद्योग में सेवा की गुणवत्ता के मानकीकरण का प्रमाण मिलता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *