लखनऊ। उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव की मतगणना शुक्रवार को होगी। मतगणना के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। विजय प्रत्याशी को जुलूस निकालने की अनुमति नही होगी। मतगणना स्थल के मार्ग पर सीमित वाहनो को भी प्रवेश मिलेगा। पुलिस प्रशासन ने मतगणना के लिए बृहस्पतिवार को ही तैयारी पूरी कर ली थी। मतगणना सुबह आठ बजे से शुरू होगी और अंतिम मत की गिनती तक जारी रहेगी। मतगणना के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। किसी को भी मतगणना स्थल पर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नही होगी। शांति व्यवस्था एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी सीओ स्तर के अधिकारी की होगी। मतगणना स्थल पर प्रत्याशी, उसके एजेंट या गणना एजेंट को ही प्रवेश मिलेगा। इसके लिए प्रशासन ने उन्हें प्रवेश पत्र जारी किया है। मंत्री, सांसद, विधायक मतगणना स्थल पर नही जा सकेगे। प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी महानगरों में अपना दबदबा बनाए रखने में अब तक सफल रही है। इस बार पार्टी के सामने असल चुनौती निगमों की सरकार में बहुमत हासिल करने की होगी। पार्टी ने इसी नजरिए से इस बार पूरी ताकत झोंकी है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर सरकार के मंत्री और संगठन के सभी पदाधिकारी मोर्चे पर नजर आए हैं। पार्टी इसके लिए पूरी तरह आश्वस्त भी नजर आती है। हालांकि, पिछले आंकड़े उनकी मंशा पर सवाल बने हुए हैं। नगर निगम के पिछले चुनाव में भले ही भाजपा के दस महापौर जीतने में कामयाब रहे थे, लेकिन किसी भी निगम सदन (बोर्ड) में बहुमत नहीं मिला था। ऐसे में चाहकर भी महापौर अपनी मर्जी से शहरवासियों के लिए बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं रहे। सदन में बहुमत न होने से जनहित से जुड़े तमाम प्रस्ताव अटके ही रहे। इसलिए इस बार पार्टी ने शुरू से ही इस पर ध्यान जरूर दिया है, लेकिन कितनी सफलता हासिल होगी, यह आने वाले दिनों पर टिका हुआ है। भाजपा निगमों पर पूरा आधिपत्य इसलिए भी चाहती है कि जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों पर निर्णय लेने का अधिकार सदन और कार्यकारिणी को ही होता है। ऐसे में अगर सदन या कार्यकारिणी में बहुमत उसी पार्टी का है जिसके महापौर हैं तब तो कोई भी प्रस्ताव या बजट सदन में पारित कराना आसान हो जाता है। पिछली बार बहुमत न होने की वजह से शहरी सरकार को विपक्षी दलों और निर्दलीयों का मुंह ताकना पड़ा था और अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं हो सका था। इस बार विपक्षी दलों ने इसे चुनाव में मुद्दा भी बनाया है।