कांग्रेस का परिवारवाद जारी, अब राहुल गांधी के हाथों में कमान

नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का पार्टी का अध्यक्ष बनने का रास्ता करीब पूरी तरह साफ हो चुका है। वे आज अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन दाखिले की आज अंतिम तिथि है और अब तक किसी ने पर्चा दाखिल नहीं किया है। राहुल के नामांकन दाखिले के दौरान उनके साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर नेहरू-गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी के राहुल गांधी कमान अपने हाथों में लेने जा रहे हैं। जबकि राहुल नेहरू-गांधी परिवार के छठे शख्स हैं, जो कांग्रेस के अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। राहुल गांधी से पहले मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के हाथों में पार्टी की कमान रही है।

नेहरू-गांधी परिवार में कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर सबसे पहले ताजपोशी मोती लाल नेहरु की हुई थी। मोतीलाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष की कमान दो बार मिली। पहली बार 1919 में कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 1928 में दूसरी बार कोलकता अधिवेशन मोतीलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।

मोतीलाल नेहरू के बाद जवाहरलाल नेहरु ने कांग्रेस की कमान अपने हाथों में ली। जवाहरलाल नेहरू दूसरी पीढ़ी के नेता थे, जिनकी कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी हुई थी। जवाहरलाल नेहरू विभिन्न अधिवेशनों में 8 बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। जवाहरलाल नेहरू पहली बार 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद 1930, 1936, 1937, 1951,1952, 1953 और 1954 में कांग्रेस अध्यक्ष रहे।

जवाहर लाल के बाद उनकी पुत्री इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की कमान अपने हाथों में ली। इस तरह वो नेहरू-गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के तौर पर कांग्रेस की अध्यक्ष रही। इंदिरा गांधी को चार बार कांग्रेस की कमान सौंपी गई। इंदिरा गांधी पहली बार 1959 में कांग्रेस के दिल्ली के विशेष सेशन में अध्यक्ष बनी। इसके बाद दोबारा पांच साल के लिए 1978 से 83 तक दिल्ली के अधिवेशन में अध्यक्ष चुनी गई।

नेहरू-गांधी परिवार के राजीव गांधी चौथी पीढ़ी के तौर पर कांग्रेस की कमान मिली। राजीव गांधी सबसे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इंदिरा गांधी की आकास्मिक मौत के बाद राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने और वह 1985 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। लेकिन दुर्भाग्य से राजीव गांधी की भी हत्या कर दी गई, जिससे कांग्रेस की कमान गांधी परिवार से निकलकर दूसरे हाथों में चली गई।

राजीव गांधी के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी, परंतु सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया और कभी भी राजनीति में नहीं आने की कसम खाई थी।लेकिन कांग्रेस की हालत दिन-ब-दिन बुरी होती देख सोनिया गांधी ने कांग्रेस ने नेताओं के दबाव में 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की।

अब कांग्रेस की कमान नेहरू-गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी के युवा नेता राहुल गांधी अपने हाथों में लेने जा रहे है।अब कांग्रेस का भविष्य राहुल के हाथों मे होगा। राहुल के सामने पार्टी को खड़ा करना और सत्ता में वापसी की चुनौती है

 

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