चमोली: गैरसैंण में सशक्त भू कानून ,मूल निवास 1950 , स्थाई राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर तमाम संगठनों और स्थानीय लोगों ने स्वाभिमान रैली निकाली अपने संसाधनों से जुटी इस विशाल भीड में यह तो साबित कर दिया कि जनता अब अपना अधिकार चाहती है। फिर चाहे लड़ के हो या छीन के, वहीं इस विशाल भीड़ को देखकर सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खींचना भी लाजमी है।
मूल निवास और भू कानून मांग को लेकर आज गैरसैंण में एक विशाल स्वभिमान महारैली का आयोजन किया गया । भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले विभिन्न संगठनों और महिला मंगल दलों व ब्यापार संघ के लोगो ने इस महारैली के माध्यम से भाजपा और कॉंग्रेस पर सवाल खड़े किए । कहा कि राज्य स्थापना के आज 24 वर्षो बाद भी राज्य आंदोलन कारियों की मांगे पूरी नही हो पाई है ।
9 नवम्बर सन् 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था । इस राज्य की मांग को लेकर हुए आंदोलन में कई राज्य आंदोलन कारियों ने अपनी कुर्बानी दी थी । इसके पीछे सोच यह थी कि अलग राज्य होगा तो इस पहाड़ी राज्य का समुचित विकास होगा और यहाँ का पानी और यहां की जवानी यही के काम आएगी लेकिन राज्य गठन के 24 साल बीत जाने को है लेकिन आज भी राज्य आन्दोलन कारियों के सपने साकार नही हो पाए है । राज्य में बाहरी राज्यो से आकर भू माफियाओं का यहां कब्जा हो रहा है । लेकिन अब धीरे धीरे राज्य में भू कानून व मूल निवास की मांग तेज होने लग गयी है ।
भू कानून समन्यवय समिति के बैनर तले आज गैरसैंण में हजारों की संख्या में एकत्र हुए आंदोलनकारियों ने रामलीला मैदान में एकत्र होकर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और मसूरी व खटीमा गोली कांड में शहीद हुए राज्य आन्दोलनकारियों को याद किया । इसके बाद हजारों की संख्या में एकत्र हुए लोगो ने गैरसैंण में भू कानून व मूल निवास को लेकर एक महारैली का आयोजन किया । रैली में क्षेत्र के करीब 40 महिला मंगल दल और विभिन्न राजनीतिक संगठनो सहित ब्यापारियों व क्षेत्रीय जनता ने भी हिस्सा लिया । आंदोलनकारियों का कहना है कि आज पहाड़ की जमीनों पर भू माफियाओं के कब्जा हो रहा है । जो कि आगे के लिये खतरा साबित हो रहा है । भू कानून बन जायेगा तो यहां की जमीनों पर कोई नजर उठा के नही देख सकता है । स्थायी राजधानी को लेकर भी इस महारैली के माध्यम से प्रदर्शन कर रहे लोगो ने सरकारों को भी चेताया ।