न्यायालय ने सोशल मीडिया को आशीर्वाद आटे के अस्तित्व को भंग करने वाली झूठी वीडियो प्रकाशित और परिचालित करने से वर्जित किया

देहरादून। न्यायालय के आदेश में प्रतिवादियों को भारत के नंबर 1 पैकेज वाले आटा ब्रांड आशीर्वाद आटा में प्लास्टिक के आरोपों को बनाने, प्रसारण और इन का संचार करने वाले वीडियो पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया है। आशिर्वाद आटा जो देश में पैक किए हुए आटे का नंबर 1 ब्रांड है, इस पर इंटरनेट प्लेटफार्मों पर दुर्भावनापूर्ण वीडियो सामने आ रहे थे जिन में यह आरोप लगाया जा रहा है कि आटे में प्लास्टिक मिला हुआ है। इन वीडियो में दावा किया गया है कि यदि ‘आशिर्वाद आटे’ से बने पेड़ों को कई बार धोया जाए तो इससे गम जैसा पदार्थ बन जाता है, जिस में प्लास्टिक होने का संदेह था। इन विडियोज में जिसे ‘प्लास्टिक’ का रूप दिया जा रहा है वास्तव में वह एक गेहूं प्रोटीन (जिसे ग्लूटेन के रूप में भी जाना जाता है) है जो आटे को एक साथ बांधता है और आटा गूंधने के बाद आटे को लचीला बनाता है। उक्त वीडियो को, आशिर्वाद आटे के उपयोग और उपभोग के बारे में आम लोगों के बीच भ्रम और झूठे आरोप पैदा करने और ‘आशिर्वाद’ ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के इरादे से बनाया और प्रसारित किया गया है। यहां तक कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत एफसीसीआई नियमों की यह आवश्यकता है कि आटे में न्यूनतम 6 प्रतिशत गेहूं प्रोटीन(ग्लूटेन) होना चाहिए। प्रतिष्ठित ब्रांड के खिलाफ किए गए आधारहीन आरोपों पर ध्यान देते हुए, कंपनी ने पहले ही खबर समय के मालिक और उनके अज्ञात सहयोगियों, जिन्हें इन वीडियो के पीछे माना जाता है, के खिलाफ कोलकाता में एक पुलिस शिकायत दायर की थी। इसके अलावा, कंपनी ने खबर समय के मालिक संजय शर्मा और अन्य लोगों के विरुद्ध, वीडियो के खिलाफ और प्रतिष्ठा के नुकसान के लिए बेंगलुरु के सिटी सिविल एंड सेशन जज के न्यायालय में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई पर, कोर्ट ने 16.12.2017 को प्रतिवादियों, जिसमें इंटरनेटध्सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रदाता, जैसे गूगल, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर शामिल हैं, को ऐसे विडियो के प्रकाशन, प्रसारण, संचार या ऐसे वीडियो को उपलब्ध करवाने या ऐसे विडियो को किसी भी तरह से सार्वजनिक देखने के लिए उपलब्ध करवाने या जारी रखने से प्रबंधित कर दिया है। कोर्ट ने इंटरनेट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रदाताओं को सूट में समन्स भी जारी किए हैं। प्रयोगशाला की रिपोर्ट ने यह भी पुष्टि की, कि जब आटे को पानी, स्टार्च और फाइबर से धोया जाता है और एक अवशेष प्राप्त होता है जो लस (ग्लूटेन) है और प्लास्टिक नहीं है। विश्व स्तरीय एफएमसीजी ब्रांड बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, भारत में अपना मूल्य बनाता, उसे ग्रहण करता और उसे बनाए रखता है, आईटीसी लिमिटेड ने उपभोक्ता के हित को हमेशा आगे रखा है। 6500 से अधिक चयन केंद्रों से सावधानीपूर्वक सोर्सिंग, वर्ष में दो बार 410 से अधिक परीक्षण, आईएसओ 22000 प्रमाणीकरण वाले कारखानों में उत्पादन, के साथ, आईटीसी यह सुनिश्चित करता है कि सभी आईटीसी के उत्पादों की तरह आशिर्वाद आटा, विनिर्माण प्रक्रियाओं और आपूर्ति श्रृंखला में उच्चतम स्तर की शुद्धता, गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वच्छता मानकों का अनुपालन करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *